koshika kise kahate hain(कोशिका क्या हैं)
हमारे शरीर की रचनात्मक एंव क्रियात्मक जो प्रायः स्वतः जनन की क्षमता रखती है । यह कोशिका से ही संभव है । जिस प्रकार किसी घर को बनाने के लिए कई इतो की जरुरत परती है । अर्थात घर का सबसे सूक्षमतम रूप इट होता है । उसी प्रकार हमारे शरीर का सबसे सूक्षमतम रूप कोशिका होता है ।
इसे सीधी शब्दों में यह कह सकते है । छोटे- छोटे कोशिका को मिलने से शरीर का निर्माण होता है । मनुष्य का शरीर बहुकोशिकीय होता है । क्योंकि बिना कोशिका का शरीर का निर्माण नहीं होता है । चाहे शरीर किसी भी प्रकार के जीव- जन्तुओ का क्यों न हो । सभी जीव जन्तुओ के शरीर का निर्माण कोशिका से ही होता है ।
यदि koshika kise kahate hain, इसका साधारण उत्तर ढूंढे तो इसका सबसे साधारण उत्तर यह होगा की, शरीर के सबसे छोटे इकाई को कोशिका कहते है । कोशिका के द्वारा ही हम किसी भी प्रकार की काम को कर सकते है ।
मन में एक प्रकार की क्वेश्चन बनता होगा की, हमारे शरीर में जो भी कोशिका है । उसमें से कुछ कोशिका नष्ट हो जायेंगे । तो हमारा शरीर काम करना बंद कर देगा । परन्तु ऐसी बात नहीं है । क्योंकि जीतनी ज्यादा संख्या में कोशिका नष्ट होती है । उतनी ही ज्यादा संख्या में कोशिका की उत्पति भी होती है । अभी तक में koshika kise kahate hain इसकी परिभाषा आप लोग जान चुके होंगे ।
कोशिका की खोज :
जब कोशिका के बारे में जानकारी प्राप्त करने लगते है । तो उसमें एक क्वेश्चन बनने लगता है । की आखिर कोशिका की खोज किसने की थी । इसका जबाब होगा, राबर्ट हुक नामक व्यक्ति ने कोशिका की खोज की थी । क्योंकि सबसे पहले राबर्ट हुक नामक व्यक्ति ने ही सूक्षमदर्शी द्वारा कॉर्क के एक टुकड़े में मृत कोशिका को देखा था । इसलिए कोशिका की खोज करने का श्रेय राबर्ट हुक को दिया जाता है ।
जीवित कोशिका की खोज करने का श्रेय सर ल्यूवेन हॉक को दिया जाता है । क्योंकि जीवित कोशिका को सबसे पहले सर ल्यूवेन हॉक ने ही देखा था । सभी कोशिका के अंदर के घटक को कोशिकांग कहाँ जाता है ।
कोशिकाओं से बना शरीर जीवन का मुलभुत लक्षण माना जाता है । छोटे जिव जंतु कोशिका की आधार के वृद्धि के आधार पर वृद्धि करते है । जबकि बड़े जिव में कोशिकाए विभेदित होकर संख्या में अत्यधिक हो जाती है ।
कोशिकाओं को उनके जटिलता के स्तर से विभाजन :
कोशिकाओं को उनके जटिलता के स्तर पर दो प्रकार में विभेदित किया गया है :-
(i) प्रोकैरियोटिक कोशिका और
(ii) यूकैरियोटिक कोशिका
कोशिकाओं के विभिन्न आकार एंव आकृतिया :
ज्यादा से ज्यादा कोशिका सूक्षमदर्शीय होता है । ज्यादा सूक्षम होने के कारण इन्हे नंगी आखों से नहीं देखा जा सकता है । परन्तु सभी प्रकार के कोशिका में कुछ न तो कुछ भिन्नता होती है । कुछ कोशिका को नंगी आखों से भी देखा जा सकता है । पक्षी का अंडा कोशिका ही होता है । सबसे बड़ा कोशिका शुतुरमुर्ग के अंडे को माना जाता है । मानव के सबसे बरी कोशिका तंत्रिका कोशिका होती है ।
पादप एंव जंतु कोशिका:
पादपों एंव जन्तुओं दोनों में यूकैरेटिक कोशिका पाया जाता है । दोनों कोशिका की मूल प्रवृति एक जैसी होती है । पादप कोशिका में कोशिका भीत, प्लास्टिड एंव बरी रिक्तिकाएँ पाई जाती है । ये सब जंतु कोशिका में नहीं पाया जाता है ।
जंतु एंव पादप कोशिका के सामान लक्षण :
जंतु एंव पादप कोशिका के सामान लक्षण निम्न है :-
जीव द्रव्य :- कोशिका को जीवन का संरचनातमक एंव क्रियात्मक इकाई माना जाता है । यह द्रव्य कार्बनिक एंव अकार्बनिक का मिश्रण होता है । जीवद्रव्य का सबसे महत्वपूर्ण एंव बड़ा भाग जल होता है । जल की मात्रा भिन्न- भिन्न तरह के जीव जन्तुओं में, भिन्न- भिन्न अंगो में अलग- अलग होता है ।
जीव द्रव्य का विभाजन:
जीव द्रव्य का विभाजन दो भागों में किया गया है, जिसका नाम निम्न है:-
(i) कोशिका द्रव्य
(ii) केन्द्रक द्रव्य
कोशिका झिल्ली से क्या समझते है?
कोशिका झिल्ली एंव केन्द्रक झिल्ली के बीच में जो भी पदार्थ स्थित रहता है । वह कोशिका द्रव्य कहलाता है । तथा कोशिका के चारों ओर एक बहुत ही पतली, मुलायम तथा लचीली झिल्ली होती है । जिसे कोशिका झिल्ली कहाँ जाता है । यह झिल्ली जीवित एवं अर्द्ध पारगम्य होता है । यह झिल्ली लिपिड तथा प्रोट्रीन की बनी होती है ।
कोशिका भीति की जानकारी :
यह पादप कोशिकाओं के चारों ओर मोटे एंव कड़े आवरण की परत होती है, जिसे कोशिका भित्ति कहाँ जाता है । यह भित्ति सेल्यूलोज की बनी होती है । यह भित्ति, पादप कोशिकाओं को एक निश्चित रूप प्रदान करती है । यह पादप कोशिका को हमेशा सुरक्षा तथा सहारा करने में अग्रसर रहती है । इसके साथ- साथ यह कोशिका झिल्ली की रक्षा भी करती है । यह भित्ति सूखने से बचाती भी है ।
कोशिका द्रव्य:
यह कोशिका भित्ति एंव केन्द्रक के बीच पाया जाता है । इसमें अनेक प्रकार के अकार्बनिक पदार्थ पाया जाता है । जैसे की खनिज लवण एंव जल इत्यादि ।
राइबोसोम:
इसका खोज सर्वप्रथम पेलेड नामक वैज्ञानिक सन 1955 ईस्वी में किया था । इसे सिर्फ सूक्षम दर्शी द्वारा ही देखा जा सकता है । यह प्रोट्रीन तथा RNA से बनी होती है । यह प्रोट्रीन संश्लेषण में भी भाग लेता है ।
कोशिकांग:
कोई भी कोशिका जिन जीवित घटको से बना होता है । जिसे कोशिकांग कहाँ जाता है । किसी भी प्रकार के कोशिका में कोशिकांग कोशिका द्रव्य एंव केन्द्रक द्रव्य में उपस्थित होता है । पादप , जंतु की तुलना में प्लास्टिड एंव बड़ी रिक्तिकाएँ अतिरिक्त कोशिकांग होती है ।
लाइसोसोम किसे कहते है ?
इसका खोज सर्वप्रथम क्रिश्चन डी डवे ने सर्वप्रथम 1958 ईस्वी में किया था । यह बहुत ही सूक्षम कोशिकांश होता है । यह बहुत ही सूक्षम कोशिकाओं के रूप में पाया जाता है । लाइसोसोम के चारों तरफ एक पतली झिल्ली पाई जाती है ।
इसका आकार बहुत ही छोटा होता है । इसमें एंजाइम भी पाया जाता है । इसमें जिव द्रव्य को नस्ट करने की शक्ति होती है । इसमें आत्महत्या की थैला भी कहाँ जाता है । लाइसोसोम जीवाणु तथा विषाणु से भी सुरक्षा पहुँचाता है ।
माइटोकॉन्ड्रिया :
यह कोशिका द्रव्य में तैरने वाला दोहरी झिल्ली से घिरा कोशिकांग होता है । जब कभी भोजन करते है । उस समय इसी में ऑक्सीकरण होता है । जिसके फलसवरूप यही पर ऊर्जा मुक्त होती है । इसके अंदर एक विशेष बात यह भी है । कोशिकांग के भीतर इसके स्वंग का DNA एंव राइबोसोम होता है ।
लवक किसे कहते है ?
यह केवल पादप कोशिका में पाया जाता है । यह कोशिका द्रव्य के चारों ओर विखरा रहता है । यह आकार में मुख्यतः अंडाकार तथा गोलाकार होता है । यदि लवक की विभाजन की बारी आती है । तो लवक तीन प्रकार के होते है:-
(i) अवर्णी लवक
(ii) वर्णी लवक
(iii) हरित लवक
(i) अवर्णी लवक :- यह पादप कोशिका में पाया जाता है । यह पौधा के उस भाग वाले कोशिका में पाया जाता है । जहाँ पर सूर्य की प्रकाश नहीं पहुँचती है । जैसे की पौधों के जड़ तथा भूमिगत वाले भाग में ।
(ii) वर्णी लवक :- यह रंगीन लवक होता है । इसका रंग लाल , पीला तथा नारंगी होता है । यह रंगीन भाग पौधों के पतियों में पाया जाता है ।
(iii) हरित लवक :- पौधों के लिए हरित लवक बहुत ही महत्वपूर्ण होता है । यह इसलिए जरुरी है । क्योंकि इसमें उपस्थित वर्णक की सहायता से प्रकाश संश्लेषण की क्रिया पूरा करता है । हरित लवक में पर्ण हरित के आलावा कैरोटीन और जेंथोफिल नाम का वर्णक भी पाया जाता है ।
पतियों का रंग पीला होने के कारण कैरोटीन का निर्माण होता है । इसमें मैग्नीशियम धातु भी पाया जाता है ।
निष्कर्ष: इस पोस्ट में koshika kise kahate hain । कोशिका की खोज किसने की इसके साथ- साथ कोशिका के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी देने की प्रयास किया हूँ । यदि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद किसी भी प्रकार की क्वेश्चन आपके मन में बनती है । तो बेहिचक हमसे कमेंट के माध्यम से संपर्क करे । उसका रिप्लाई हम जल्द से जल्द देने की कोशिस करेंगे
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