गति के प्रकार : तथा गति के प्रकार का वर्णन

गति :- जब कोई वस्तु किसी स्थान पर स्थिर है । और वह वस्तु उसी स्थान पर स्थिर रहता है । तो उसे विराम में समझा जाता है । तथा यदि समय बदलने के साथ- साथ उनके स्थिति में भी परिवर्तन होता है । तो वह गति में उस वस्तु को कहाँ जाता है । यदि गति की साधारण परिभाषा कहाँ जाये । तो  निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है ।

गति की परिभाषा :

समय के अनुसार, यदि किसी वस्तु की स्थिति में परिवर्तन होता है । इस प्रकार की अवस्था को गति कहाँ जाता है । गति निम्न प्रकार के होते है :-

(i) रैखिक गति

(ii) वृतीय गति 

(iii) दोलन गति   

(iv) आवर्त गति

गति के प्रकार :

(i) रैखिक गति :- वैसा गति जो किसी बिंदु से चलना प्रारम्भ करती है, अर्थात सीधी रेखा में गमन करती है । इस प्रकार  की गति को रैखिक गति के अंतर्गत रखा जाता है ।

रैखिक गति का कुछ उदाहरण: 

(a) धनुष  से निकली हुई बाण की गति, अर्थात धनुष से जो बाण निकल जाता है । उसका पथ टेढ़ा नहीं होता है । धनुष से निकली हुई बाण सीधी रेखा में गमन करती है ।

(b) बन्दुक से निकली हुई गोली, जब बन्दुक से गोली निकल जाती है । वह सीधी रेखा में गमन करती है । उसका पथ टेढ़ा नहीं होता है ।

(ii) वृतीय गति :- वैसा गति जो किसी एक खास बिंदु के चारों तरफ एक वृतीय पथ पर घूमती है । इस प्रकार के गति को वृतीय गति के अंतर्गत रखा जाता है । वृतीय गति का कुछ उदाहरण निचे बताने की कोशिस कर रहे है :-

वृतीय गति का कुछ उदाहरण  :

(a)  नाभिक के चारों ओर इलेक्ट्रान की गति । इलेक्ट्रान हमेशा नाभिक के चारों तरफ ही चक्कर लगाता है ।

(b) घड़ी में सुई की गति, अर्थात घड़ी में सुई की गति भी एक वृताकार पथ पर चलती है ।

(iii) दोलन गति :- वैसा गति जो एक निश्चित बिंदु से आगे, पीछे तथा ऊपर निचे चलता है । वह दोलन गति के अंतर्गत आता है । दोलन गति भी एक गति का उदाहरण है । तो चलिए मैं इसका कुछ उदाहरण देने की प्रयास कर रहा हूँ ।

दोलन गति का कुछ उदाहरण :

घड़ी की पेंडुलम की सुई की गति । घड़ी में पेंडुलम की सुई भी एक निश्चित बिंदु से आगे – पीछे होते रहता है । इसलिए इस प्रकार की गति को दोलन गति कहाँ जाता है ।

(iv) आवर्त गति :- वैसा  गति जो एक निश्चित समय अंतराल  पर दुहराती रहती है । इस प्रकार की गति को आवर्त गति कहाँ जाता है । इसका कुछ बताने की कोशिस कर रहा हूँ । 

आवर्त गति का उदाहरण :

सिलाई मशीन की सुई की गति, इस मशीन की सुई एक निश्चित समय अंतराल पर दुहराती रहती है । इसलिए इस गति को आवर्त गति माना जाता है ।

सरल आवर्त गति: 

जब कोई वस्तु या कण, माध्य स्थिति, या साम्यावस्था की स्थिति में एक सरल रेखा पर गति करता है । इस प्रकार की गति को सरल आवर्त गति कहाँ जाता है ।

पेंडुलम की सुई की गति को सरल आवर्त गति का एक अच्छा उदाहरण माना गया है । क्योंकि इस सुई को एक बार डुला देने से एक निश्चित बिंदु से आगे पीछे होते रहता है ।

किसी भी वस्तु को साम्यावस्था में कैसे समझे :   

इसे उदाहरण द्वारा समझाने का प्रयास करता हूँ ।  एक स्प्रिंग लेंगे उसके सिरे को बाँध देंगे । जब तक उस सिरे पर कोई बाह्य बल काम नहीं करता है । तब तक उसे साम्यावस्था में समझा जाता है ।

(a) जब हम किसी एक स्प्रिंग के एक सिरे के बाँध देते है । तथा दूसरे सिरे के खींचते है । तो इसके विपरीत दिशा में एक बल काम करता है । जो बल स्प्रिंग के साम्यावस्था में ले जाने का प्रयास करता है ।

(b) जब हम स्प्रिंग क़ो दबाते है । उसमें एक बाहर की तरफ एक बल काम करता है । जो साम्यावस्था में ले जाने की प्रयास करता है ।

प्रत्यानयन बल की जानकारी :

वैसा बल जो किसी भी स्प्रिंग को साम्यावस्था में ले जाने की प्रयास करता है । इस प्रकार के बल को प्रत्यानयन बल के अंतर्गत रखा जाता है ।

उदाहरण: जब किसी पिंड पर कोई बाहरी बल लगाया जाता है । जिसके कारण साम्यस्था से x  दुरी तक विस्थापन उत्पन्न होता है । जिससे उस वस्तु पर लगने वाला बल f=-kx हो जाता है । जहाँ k  नियतांक है । एंव ऋणात्मक चिन्ह से यह स्पस्ट होता है । यह बल आरोपित बल के विपरीत दिशा में लगता है ।

कैसे समझे की सरल आवर्त गति में है ?

यदि कोई पिंड निचे जो शर्त बताये है । उसे यदि फॉलो करता है । तो इस प्रकार की गति सरल आवर्त गति होगी ।

(i) किसी पिंड का गति साम्यावस्था के अगल- बगल में ही होना चाहिए ।

(ii) पिंड पर लगने वाला त्वरण या कोणीय त्वरण का माध्य स्थिति से विस्थापन या कोणीय विस्थापन के समानुपाती होती है ।

सरल आवर्त गति के प्रकार : 

सरल आवर्त गति दो प्रकार के होते है , जिसका नाम निम्न है :-

(i) रेखीय सरल आवर्त गति

(ii) कोणीय सरल  आवर्त गति

(i) सरल सरल आवर्त गति :- जब कोई पिंड साम्य स्थिति के अगल- बगल में एक ही सरल रेखा के रूप में आविर्ती करता है । वह सरल आवर्त गति के अंतर्गत आता है ।

(ii) कोणीय सरल  आवर्त गति:- जब कोई पिंड नियतांक अक्ष के सापेक्ष आवर्त गति करता है । इस प्रकार की गति कोणीय सरल आवर्त गति के अंतर्गत रहता है । इसका सबसे अच्छा उदाहरण सरल लोलक की गति का उदाहरण है । 

निष्कर्ष : इस पोस्ट में हमने गति, गति के प्रकार, साम्यावस्था, प्र्त्यानयन बल ,कैसे समझे की सरल आवर्त गति में है। सरल आवर्त गति के प्रकार इत्यादि के बारे में ज्यादा से ज्यादा बताने की कोशिस किये है । यदि इससे सम्बंधित किसी भी प्रकार की क्वेश्चन बनती है । बेहिचक हमसे कमेंट के माध्यम से संपर्क करे । उसका रिप्लाई हम जल्द से जल्द देने की कोशिस करेंगे ।  

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