padap-koshika

padap koshika तथा कोशिका भित्ति का वर्णन

padap koshika: पादप कोशिका एक सेल्यूलर इकाई है जो पादपों में पायी जाती है। यह अनुक्रमशः एक पर्यावरणीय उपयोगी खाद्य पदार्थ (फोटोसिंथेसिस द्वारा उत्पन्न होने वाले आहार या निचले पोषक तत्व) के निर्माण और संचयन का कार्य करती है।

पादप कोशिकाएं सामान्यतया एक सेल द्वारा बनी होती हैं, जिसे पादपों की सबसे छोटी इकाई माना जाता है। इन कोशिकाओं में पादपों के लिए आवश्यक अंगों और संरचनाओं की उपस्थिति होती है, जैसे कि क्लोरोप्लास्ट (जहां फोटोसिंथेसिस होती है), नभिकीय परिचर्या, रीबोसोम, जीलीय तत्व, आदि।

पादप कोशिकाएं अपनी सेल दीवार के माध्यम से अलग होती हैं, जिसे प्लाज्मोडेस्मा कहा जाता है। ये कोशिकाएं एक अद्वितीय प्रकार के सेल वॉल द्वारा चारों ओर संरक्षित होती हैं, जिसे प्लांट सेल वॉल कहा जाता है। इस सेल वॉल के कारण पादप कोशिकाएं सुषमा और स्थायी होती हैं, जो उन्हें समरूपी और मजबूत बनाता है।

पादप कोशिकाओं की महत्वपूर्ण क्रियाएं फोटोसिंथेसिस, श्वसन, उद्भिद्यन, पोषण, जनन आदि होती हैं। इन कोशिकाओं का एक संगठित समूह एक पादप कोष (टिशू) बनाता है, जो पादप उद्भिदों में विभिन्न कार्यों को संभालता है।

padap koshika का भाग :

पादप कोशिका (प्लांट सेल) के महत्वपूर्ण भागों में निम्नलिखित शामिल होते हैं:

  1. निर्माणी (Cell Wall): पादप कोशिकाएं प्लांट सेल वॉल द्वारा चारों ओर संरक्षित होती हैं। यह वॉल प्राकृतिक फाइबर और पोलिसैक्कराइडों से बना होता है और कोशिका को सुषमा और स्थायी बनाता है। यह अन्य खाद्य पदार्थों के प्रवाह, संरक्षण, और संरचनात्मक समरूपता में मदद करता है।
  2. क्लोरोप्लास्ट (Chloroplast): क्लोरोप्लास्ट पादप कोशिकाओं में पाये जाते हैं और फोटोसिंथेसिस के लिए जिम्मेदार होते हैं। ये विशेष रंग धारित पिगमेंट, जैसे कि क्लोरोफिल, के कारण हरे रंग में दिखाई देते हैं। क्लोरोप्लास्ट में प्रकाश संचयित किया जाता है और इसे कार्बन डाइऑक्साइड और पानी के मिश्रण से खाद्य पदार्थों को उत्पन्न करने के लिए उपयोग किया जाता है।
  3. नभिकीय परिचर्या (Vacuole): पादप कोशिकाएं बड़े संख्यात्मक नभिकीय परिचर्या में लिपटी होती हैं। यह एक जेलीय पदार्थ है जो पादप कोशिका में रसायनिक पदार्थों को संकलित करता है और कोशिका के तापमान, रचनात्मक समरूपता, और तत्वों के प्रवाह को नियंत्रित करता है। यह पादप कोशिका का सबसे बड़ा अंग होता है और खाली या अवसादित होने की स्थिति में कोशिका को समर्थित रखने में मदद करता है।
  4. रीबोसोम (Ribosomes): रीबोसोम पादप कोशिकाओं में प्रोटीन संश्लेषण के लिए जिम्मेदार होते हैं। ये संरचनात्मक तत्व होते हैं जो आरएनए और पोलिसोम आरएनए के रूप में व्यक्त होते हैं। रीबोसोम रीबोन्यूक्लिक एसिड (रीएनए) और प्रोटीनों के बीच प्रोटीन संश्लेषण को संचालित करते हैं।

ये केवल कुछ मुख्य भाग हैं जो पादप कोशिका में पाए जाते हैं। पादप कोशिका कई और संरचनात्मक, कार्यात्मक और नियंत्रक तत्वों से युक्त होती है, जिनकी वजह से वे पादपों की विशेषताओं और कार्यों को संभाल सकती हैं।

कोशिका भित्ति निर्माण एंव कार्य :

कोशिका भित्ति :- कोशिका भित्ति एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो सभी सेल्स (कोशिकाएं) में होती है। यह उनके निर्माण, विकास, और संघटन में मदद करती है। कोशिका भित्ति सेल्स के भीतरी अंगभूत भागों के निर्माण के माध्यम से होती है और उन्हें विशेष रचनात्मक और कार्यात्मक संरचनाओं के रूप में संघटित करती है।

कोशिका भित्ति द्वारा, नए कोशिकात्मक भागों की निर्माणी और पुराने भागों की अद्यतन की प्रक्रिया होती है। यह शरीर के विभिन्न भागों के लिए मानव शरीर में हड्डियों, दांतों की बनावट, पादपों में कोशिकाओं के निर्माण आदि के लिए महत्वपूर्ण है।

कोशिका भित्ति में, नए कोशिकात्मक भागों की निर्माणी द्वारा संरचित होती है। इसमें रीबोसोम, जीलीय तत्व, नाभिकीय परिचर्या, आदि को शामिल किया जाता है। ये भाग क्रमित ढंग से निर्माण होते हैं और अंत में उनकी संरचनात्मकता और कार्यात्मकता प्राप्त होती है।

सेल भित्ति के अलावा, कोशिका भित्ति द्वारा पुराने कोशिकात्मक भागों की अद्यतन और मरम्मत भी होती है। यह संरचनात्मक संगठन को स्थायी रखने, कोशिका के कार्यों को सुनिश्चित करने, और उसकी समूहित कार्य प्रणाली को बनाए रखने में मदद करती है।

संक्षेप में कहें तो, कोशिका भित्ति सेल्स के निर्माण, विकास, और संघटन की महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो उन्हें संरचित और कार्यात्मक बनाती है।

कोशिका भीति के निर्माण का कारण : 

कोशिका भित्ति के निर्माण का मुख्य कारण अक्सर सेल के विभिन्न कार्यों और संरचनाओं को संघटित और संरचित रखना होता है। इसके अलावा, निम्नलिखित कारण भी कोशिका भित्ति के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं:

  1. विकास और वृद्धि: कोशिका भित्ति का निर्माण सेल के विकास और वृद्धि के साथ संबंधित होता है। जब सेल विकास करती है और वृद्धि होती है, तो नई कोशिकात्मक भागों की आवश्यकता होती है और कोशिका भित्ति की निर्माण प्रक्रिया प्रारंभ होती है।
  2. निर्माण और अद्यतन: कोशिका भित्ति का निर्माण और अद्यतन सेल में विभिन्न संरचनात्मक और कार्यात्मक तत्वों को जोड़ने और उन्हें अपडेट करने के लिए होता है। इसके माध्यम से, सेल विशेष संरचनाओं को निर्मित करती है जो सेल के कार्यों को संरचित और सही ढंग से कार्यान्वित करने में मदद करती हैं।
  3. न्यूनताओं और खराबियों की मरम्मत: कोशिका भित्ति अक्सर न्यूनताओं और खराबियों की मरम्मत और संशोधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब सेल में कोई खराबी या नुकसान होता है, तो कोशिका भित्ति नए कोशिकात्मक भागों की निर्माणी को प्रोत्साहित करती है ताकि सेल न्यूनताओं को संशोधित कर सके और सही संरचना को पुनर्स्थापित कर सके।
  4. प्रजनन और अभियांत्रिकी: कोशिका भित्ति प्रजनन और अभियांत्रिकी की प्रक्रियाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह नए सेल्स के निर्माण को संभव बनाती है जो प्रजनन के माध्यम से उत्पन्न होती हैं और अभियांत्रिकी के द्वारा सेल के बाहरी वातावरण के साथ इंटरैक्ट करती हैं।

ये केवल कुछ कारण हैं जो कोशिका भित्ति के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सेल के विभिन्न प्रकारों और परिस्थितियों में कोशिका भित्ति के निर्माण के अन्य भी कारण हो सकते हैं।

कोशिका भीति के कार्य का वर्णन :

कोशिका भीति (Cell Division) एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो सेल्स (कोशिकाएं) में होती है और जिसके माध्यम से नई सेल्स का निर्माण होता है। कोशिका भीति में, एक सेल द्वारा निर्मित मात्रा और आकार की दो नई सेल्स (कोशिकाएं) उत्पन्न होती हैं। इस प्रक्रिया में, सेल का जीनोम (जीन का समूह) भी बंट जाता है, जिससे प्रत्येक नई सेल में समान जीनोम की मौजूदगी होती है।

कोशिका भीति के प्रमुख दो प्रकार हैं:

  1. मिटोसिस (Mitosis): मिटोसिस एक सेल के दो प्रतीक समान भागों में विभाजन की प्रक्रिया है। इसमें प्रथमिक नवीनीकरण के लिए नई सेल के जीनोम की कटाई और विभाजन की प्रक्रिया होती है। मिटोसिस में नवीनीकृत सेल्स उत्पन्न होती हैं जो मूल सेल के समान जीनोम के साथ होती हैं। मिटोसिस के चरण हैं: प्रोफेज, मेटाफेज, आनाफेज, और टेलोफेज। इन चरणों में, नाभिकीय परिचर्या और तत्वों की विभाजन की प्रक्रिया होती है जिससे दो नई सेल्स बनती हैं।
  2. मेयोसिस (Meiosis): मेयोसिस एक सेल के दो प्रतीक समान भागों में विभाजन की प्रक्रिया है जिससे गर्भवतीता को संभव बनाया जाता है। मेयोसिस में जीनोम की कटाई और विभाजन की दो बार प्रक्रिया होती है, जिसके परिणामस्वरूप चार विभिन्न सेल्स उत्पन्न होती हैं, जिन्हें गेमेट्स (उपजाऊ शुक्राणु या अंडाशय शुक्राणु) कहा जाता है। इन गेमेट्स के विलय से नवजात जीवन के लिए एक पूर्ण जीनोम बनता है। मेयोसिस के चरण हैं: प्रोफेज I, मेटाफेज I, आनाफेज I, टेलोफेज I, और प्रोफेज II, मेटाफेज II, आनाफेज II, और टेलोफेज II। इन चरणों में जीनोम की कटाई और विभाजन की प्रक्रिया होती है जिससे चार नई सेल्स उत्पन्न होती हैं।

कोशिका भीति का प्रमुख उद्देश्य सेल्स के निर्माण, प्रजनन, और विकास में सहायता करना है। यह प्रक्रिया सेल्स के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके माध्यम से विभिन्न अवस्थाओं में सेल्स की संख्या को नियंत्रित किया जाता है और नवीनीकृत सेल्स की आवश्यकता को पूरा किया जाता है।

जीव द्रव्य का वर्णन :

जीव द्रव्य वह पदार्थ है जो जीवों में पाया जाता है और उनके जीवन प्रक्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है। यह द्रव्य समूह आणविक स्तर पर संरचित होता है और जीवों को ऊर्जा, इंजीनियरिंग ब्लॉक, और विभिन्न उपकरणों के रूप में कार्य करने की क्षमता प्रदान करता है।

जीव द्रव्य में विभिन्न प्रकार के रासायनिक और अनुरागी पदार्थों की मौजूदगी होती है। इनमें नाभिकीय पदार्थ (जैसे प्रोटीन, अमाइनो एसिड, और पेप्टाइड), कार्बन हाइड्रेट्स (जैसे कार्बोहाइड्रेट, शर्करा, और सेल्यूलोज), लिपिड (जैसे वसा और स्टेरॉल), नुक्लिक एसिड (जैसे डीएनए और आरएनए), और विटामिन्स और मिनरल्स शामिल होते हैं।

जीव द्रव्य जीवों में कई महत्वपूर्ण कार्यों को संभालने में मदद करता है, जैसे कि:

  1. ऊर्जा प्राप्ति और उपयोग: जीव द्रव्य ऊर्जा के स्रोत के रूप में कार्य करता है और जीवों को ऊर्जा प्राप्त करने और उपयोग करने में मदद करता है। प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, और लिपिड इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  2. रचनात्मक संरचना और कार्य: जीव द्रव्य जीवों में विभिन्न संरचनात्मक और कार्यात्मक पदार्थों के निर्माण में मदद करता है। प्रोटीन और नाभिकीय पदार्थ सेल संरचना के निर्माण, विषाणु और अंतरंग कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  3. संक्रियात्मक अवयवों का निर्माण: जीव द्रव्य नुक्लिक एसिड द्वारा जीनेटिक सूत्र में संकलित होता है, जो संक्रियात्मक अवयवों के निर्माण के लिए उपयोगी होता है। डीएनए और आरएनए जीनोम की निर्माण, संचार और उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  4. बाह्य और आंतरिक प्रतिरक्षा: जीव द्रव्य विटामिन्स, मिनरल्स और अन्य रसायनिक पदार्थों की मौजूदगी के रूप में जीवों की प्रतिरक्षा प्रणाली को संभालने में मदद करता है। इन पदार्थों का उपयोग रोग प्रतिरोधी प्रणाली, हड्डियों का निर्माण, और अन्य प्रक्रियाओं में होता है।

जीव द्रव्य जीवन की मौलिक इकाई है और जीवों के उत्पन्न, विकसित और संघटित होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह द्रव्य प्रकृति में विभिन्न रूपों में पाया जाता है और जीव जगत की विविधता और विशेषताओं को संभालता है।

कोशिका द्रव्य  का विभाजन :

कोशिका द्रव्य का विभाजन महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो सेल्स (कोशिकाएं) में होती है और जिससे दो नई सेल्स का निर्माण होता है। विभाजन के प्रकार को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:

  1. मिटोसिस (Mitosis): मिटोसिस एक सेल के दो नये और समान भागों में विभाजन की प्रक्रिया है। यह विभाजन शरीर के सभी सामान्य और नये सेल्स के निर्माण के लिए जरूरी होता है। मिटोसिस के चार मुख्य चरण होते हैं: प्रोफेज, मेटाफेज, आनाफेज, और टेलोफेज। इन चरणों में, सेल के क्रोमोसोम दो बार जायमान होते हैं और उनके दो समान और विभिन्न भागों में विभाजन होता है, जिससे दो नयी सेल्स बनती हैं जो मूल सेल के जीनोम की प्रतिलिपि होती हैं।
  2. मेयोसिस (Meiosis): मेयोसिस एक सेल के दो नये और समान भागों में विभाजन की प्रक्रिया है जिसे लिंगानुपातिक जनन प्रक्रिया कहा जाता है। मेयोसिस द्वारा, जननीय सेल्स या गामेट्स (उपजाऊ शुक्राणु या अंडाशय शुक्राणु) का निर्माण होता है जो जीवाश्म के निर्माण के लिए जरूरी होते हैं। मेयोसिस के चार मुख्य चरण होते हैं: प्रोफेज I, मेटाफेज I, आनाफेज I, टेलोफेज I, और प्रोफेज II, मेटाफेज II, आनाफेज II, और टेलोफेज II। मेयोसिस के द्वारा चार सेल्स का निर्माण होता है, जिन्हें गामेट्स कहा जाता है, जो मूल सेल के जीनोम का आधा हिस्सा होते हैं।

इन विभाजन प्रक्रियाओं के माध्यम से, कोशिका द्रव्य सम्पर्क के बाद संवेदक बैंक वाली नयी सेल्स का निर्माण होता है जो जीवाश्म के निर्माण, प्रजनन, और विकास के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

केन्द्रक का विभाजन :

केंद्रक (न्यूक्लियस) का विभाजन महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो सेल्स (कोशिकाएं) में होती है और जिससे दो नयी केंद्रक बनते हैं। यह विभाजन न्यूक्लियस में संग्रहीत जीनेटिक सूत्र (DNA) को दो नयी समान और विभिन्न भागों में विभाजित करता है।

केंद्रक का विभाजन भी दो प्रकारों में होता है:

  1. मिटोसिस (Mitosis): मिटोसिस में, एक केंद्रक के दो समान और समानांतर भागों में विभाजन होता है। इसके चार चरण होते हैं: प्रोफेज, मेटाफेज, आनाफेज, और टेलोफेज। प्रोफेज में, जीनेटिक सूत्र न्यूक्लियस में बंद रहता है। मेटाफेज में, जीनेटिक सूत्र जायमान होता है और स्पाइंडल फाइबर्स इसे दो समान और समानांतर भागों में विभाजित करते हैं। आनाफेज में, विभाजित जीनेटिक सूत्र दोनों भागों के पास मुख्यकेंद्रक (सेंट्रोसोम) के निकट आते हैं। और टेलोफेज में, दो नयी केंद्रक बनते हैं और सेल के दोनों भागों का विभाजन पूरा हो जाता है।
  2. मेयोसिस (Meiosis): मेयोसिस भी एक प्रकार का केंद्रक विभाजन है लेकिन यह जननीय सेल्स (उपजाऊ शुक्राणु या अंडाशय शुक्राणु) के लिए होता है जो जनन प्रक्रिया के लिए जरूरी होते हैं। मेयोसिस में, जीनेटिक सूत्र का दो बार विभाजन होता है जिससे चार नयी केंद्रक बनते हैं। इसके चार चरण होते हैं: प्रोफेज I, मेटाफेज I, आनाफेज I, टेलोफेज I, और प्रोफेज II, मेटाफेज II, आनाफेज II, और टेलोफेज II। मेयोसिस I में, जीनेटिक सूत्र का विभाजन होता है जिससे दो भागों में विभाजित होता है, और मेयोसिस II में, यह दो नयी केंद्रक में विभाजित होता है और सेल के चार नयी भागों का निर्माण होता है।

इस रूप में, केंद्रक का विभाजन नयी सेल्स के निर्माण के लिए जरूरी होता है और विभिन्न सेल प्रक्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है, जैसे जीवाश्म के निर्माण, प्रजनन, और विकास।

जीव द्रव्य का गुण: 

जीव द्रव्य के कुछ महत्वपूर्ण गुण हैं:

  1. जीवितता (Vitality): जीव द्रव्य जीवन की बुनियादी इकाई है और जीवों के जीनेटिक गतिविधियों, उत्पादन प्रक्रियाओं, और अंतर्गत संरचनात्मक कार्यों को संभालने में मदद करता है। जीव द्रव्य में उपस्थित रसायनिक और आणविक पदार्थ जीवित जीवन की संचालना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं।
  2. प्रकृतिगत संरचना (Structural Integrity): जीव द्रव्य सेल्स और उनके संरचनात्मक अवयवों की मौजूदगी और संरक्षण को सुनिश्चित करने में मदद करता है। प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, और लिपिड्स जीव द्रव्य के महत्वपूर्ण घटक होते हैं जो सेल संरचना, बाह्य रक्षा, और अंतर्गत कार्यों के लिए जरूरी होते हैं।
  3. ऊर्जा (Energy): जीव द्रव्य ऊर्जा के स्रोत के रूप में कार्य करता है और जीवों को ऊर्जा प्राप्त करने और उपयोग करने में मदद करता है। कार्बोहाइड्रेट्स और लिपिड्स इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और जीवों को ऊर्जा उपजाने और उपयोग करने के लिए उपलब्ध कराते हैं।
  4. प्रतिरक्षा (Defense): जीव द्रव्य विटामिन्स, मिनरल्स, और अन्य रसायनिक पदार्थों की मौजूदगी के रूप में जीवों की प्रतिरक्षा प्रणाली को संभालने में मदद करता है। इन पदार्थों का उपयोग रोग प्रतिरोधी प्रणाली, जीवांशमान रक्त और अन्य प्रक्रियाओं में होता है जो जीवों को बाह्य और आंतरिक संक्रियात्मक ध्रुवियों से बचाते हैं।
  5. प्रजनन (Reproduction): जीव द्रव्य प्रजनन प्रक्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है और नवजात जीवन के लिए जीनेटिक सूत्र (DNA) को संरक्षित रखता है। प्रोटीन, नाभिकीय पदार्थ, और नुक्लिक एसिड्स इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और प्रजनन के लिए जीनेटिक सूत्र को स्थापित करते हैं।

ये थे कुछ मुख्य गुण जिनके कारण जीव द्रव्य महत्वपूर्ण है और जीवों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह द्रव्य जीवों की संरचना, कार्य, और संवर्धन को संभालने में मदद करता है और उनकी संघटित और स्थायीता को सुनिश्चित करता है।

रिक्त्या तथा रसधानिया : रिक्त्या एक प्रमुख अंग है जो पादपों और कुछ प्रकार के जीवों में पाया जाता है। यह सेल के अंदर एक अलगाव में स्थित होता है और एक संग्रहीत स्थान के रूप में कार्य करता है। रिक्त्या के अंदर रसायनिक और अशुद्ध पदार्थ, पानी, और अन्य सामग्री संग्रहीत की जाती है। इसे सेल की आंतरिक घटनाओं को संभालने, पोषण को संरक्षित करने, अशुद्धताओं को बाहर निकालने, और सेल को वृद्धि करने के लिए उपयोग किया जाता है। रिक्त्या एक जीवाणु के प्रभाव के अनुसार विभिन्न आकार और अवधि की हो सकती है। यह भी पादपों में ऊर्जा और नियमित अवधारणा के लिए महत्वपूर्ण है।

रसधानिया (Golgi Apparatus):

रसधानिया एक महत्वपूर्ण संरचना है जो सेल्स के अंदर पाई जाती है। यह सेल ऑर्गनेल है जो प्रोटीन, लिपिड्स, और अन्य रसायनिक पदार्थों को संग्रहीत करती है और उन्हें संरचित करने और प्रसारित करने में मदद करती है। यह सेल संघटकों को गुच्छित करता है, उन्हें संग्रहीत करता है, और उन्हें सेल के अन्दर और बाहर ट्रांसपोर्ट करता है। रसधानिया प्रोटीन संश्लेषण, पोषणीय सामग्री के निर्माण, और उपकरणों के रूप में कार्य करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके पास विभिन्न वेसिकल्स होते हैं जो पदार्थों को संग्रहीत करते हैं, उन्हें प्रसंस्कृत करते हैं, और अन्य संरचनाओं के साथ मिश्रित करते हैं। रसधानिया सेल ट्रांसपोर्ट प्रक्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण है और सेल की संरचना और कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

रिक्तिका का कार्य :  

रिक्तिका (Vacuole) सेल में कई महत्वपूर्ण कार्यों का पालन करती है। यहां कुछ मुख्य कार्य हैं जो रिक्तिका द्वारा संपादित किए जाते हैं:

  1. पोषण (Nutrient Storage): रिक्तिका में पोषक तत्वों की संग्रहणी की जाती है। इसमें पानी, खनिज अवशेष, ग्लूकोज, प्रोटीन, लिपिड्स और अन्य पोषणीय पदार्थ संग्रहीत होते हैं। ये पोषणीय तत्व जीविका विकास, ग्रोथ, और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के लिए संग्रहीत रहते हैं।
  2. जल संतान (Water Balance): रिक्तिका जल संतान को नियंत्रित करने में मदद करती है। यह पानी की संग्रहणी करती है और जीवाणु को समान जलीय अवधारणा की सुनिश्चित करती है। यह जीवाणु को विभिन्न परिवार्य परिस्थितियों के खिलाफ संरक्षित रखने में मदद करती है, जैसे जल अभाव या अत्यधिक जल संतान।
  3. रसायनिक संतान (Chemical Balance): रिक्तिका रसायनिक संतान को संरक्षित करने में मदद करती है। यह अनुचित रसायनिक तत्वों की निष्कासन और उपयोगी रसायनिक तत्वों की संग्रहणी करती है। इसके माध्यम से, जीवाणु अपघटन और विषाणुक के प्रतिरक्षा को संभाला जाता है।
  4. जीवाणु संपर्क (Interactions with Microorganisms): रिक्तिका जीवाणु संपर्क को संभालने में मदद करती है। यह विषाणुओं और अन्य माइक्रोऑर्गनिज्मों के संपर्क के द्वारा होने वाले आपसी क्रियाओं को संभालती है और उनके प्रभाव को नियंत्रित करती है। इससे जीवाणुओं के प्रतिरोध की क्षमता में सुधार होता है।

इन सभी कार्यों के माध्यम से, रिक्तिका सेल के उत्पादन, विकास, और संरचनात्मक कार्यों को संभालने में मदद करती है और सेल को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

पादप कोशिका का कार्य :

पादप कोशिका के कार्यों में कई महत्वपूर्ण कार्य होते हैं। यहां कुछ मुख्य कार्य हैं जो पादप कोशिका द्वारा संपादित किए जाते हैं:

  1. ऑक्सीजन उत्पादन (Oxygen Production): पादप कोशिका में स्थित विशेष संरचना, जो क्लोरोप्लास्ट कहलाती है, ऑक्सीजन उत्पादन करती है। इस प्रक्रिया को संश्लेषण कहा जाता है, जिसमें क्लोरोप्लास्ट में स्थित क्लोरोफिल के द्वारा सूर्य की किरणों का उपयोग करके कार्बन डाइऑक्साइड को ऑक्सीजन और आपूर्ति तत्वों में बदला जाता है। यह प्रक्रिया फ़ोटोसिंथेसिस कहलाती है और यह पृथ्वी पर ऑक्सीजन की मुख्य स्रोत है।
  2. आहार संश्लेषण (Nutrient Assimilation): पादप कोशिका भूमि, पानी, और वायु से उपार्जित आहार तत्वों को संश्लेषण करके सेल के अंदर उपयोग करती है। यह सुरक्षित रूप से पोषणीय पदार्थों को संग्रह करती है और उन्हें उपयोग करने के लिए तैयार करती है। यह प्रक्रिया में पादप कोशिका द्वारा पोषणीय तत्वों के अलगाव की अनिवार्यता होती है, जो पादप के विकास और वृद्धि के लिए आवश्यक हैं।
  3. संरचना का निर्माण (Structural Support): पादप कोशिका में स्थित सेल दीवारें और संरचनात्मक तत्व संरचना का निर्माण करती हैं। सेल दीवारें कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, और लिपिड्स के संयोजन से बनी होती हैं और सेल को संरचित और स्थायी रखने का कार्य करती हैं। यह सेल को मजबूती प्रदान करती है और उसे वातावरणिक प्रतिरोधी बनाती है।
  4. विकास और वृद्धि (Growth and Development): पादप कोशिका में संग्रहित पोषणीय तत्वों के उपयोग से विकास और वृद्धि होती है। संरचनात्मक और उपार्जित आहार तत्वों की संग्रहीति के द्वारा सेल की संख्या और आकार में वृद्धि होती है और इससे पूरे पादप का विकास होता है।

ये कुछ मुख्य कार्य हैं जिन्हें पादप कोशिका द्वारा निभाया जाता है। इन कार्यों के माध्यम से पादप कोशिका अपने विकास, प्रतिरक्षा, और स्थायित्व को संभालती है और सही ढंग से संचालित होती है।

padap koshika और जंतु कोशिका में अंतर 

पादप कोशिका और जंतु कोशिका में कुछ मुख्य अंतर हैं:

  1. संरचना (Structure): पादप कोशिका में सेल दीवारें कठोर होती हैं, जो सेल को स्थायी बनाती हैं। ये दीवारें कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन और लिपिड्स के संयोजन से बनी होती हैं। जंतु कोशिका में भी सेल दीवारें होती हैं, लेकिन वे आमतौर पर पादप कोशिका की दीवारों की तुलना में कम कठोर होती हैं।
  2. क्लोरोप्लास्ट (Chloroplasts): पादप कोशिका में क्लोरोप्लास्ट पाये जाते हैं, जो फोटोसिंथेसिस (ऑक्सीजन उत्पादन) के लिए जिम्मेदार होते हैं। जंतु कोशिका में अक्सीजन उत्पादन के लिए क्लोरोप्लास्ट नहीं होते हैं।
  3. वचन (Vacuoles): पादप कोशिका में बड़े आकार और अधिक संख्या के वचन पाए जाते हैं। इन वचनों में पानी, आहार तत्व और अन्य रसायनिक पदार्थ संग्रहीत होते हैं। जंतु कोशिका में वचन होते हैं, लेकिन उनकी संख्या और आकार पादप कोशिका की तुलना में कम होते हैं।
  4. जीवितता (Vitality): पादप कोशिका में संजीवता लंबे समय तक बनी रहती है और वे संगठित रूप में बढ़ सकती हैं। जंतु कोशिका में संजीवता कम समय तक बनी रहती है और वे संगठित रूप में विकसित नहीं होती हैं।
  5. पोषणीय विषाणु (Nutrient Acquisition): पादप कोशिका फोटोसिंथेसिस के माध्यम से अपने आहार को स्वतंत्र रूप से उत्पन्न करती हैं। जंतु कोशिका आहार तत्वों को बाहर से प्राप्त करती हैं और उन्हें पचाने के लिए अपने पाचन तंत्र का उपयोग करती हैं।

ये थे कुछ मुख्य अंतर जो पादप कोशिका और जंतु कोशिका में होते हैं। इन अंतरों के कारण, पादप कोशिका और जंतु कोशिका अपने विशिष्ट कार्यों को निभाते हैं और उनकी विशेषताएं होती हैं।

निष्कर्ष : इस आर्टिकल में padap koshika, padap koshika ka chitra ,padap koshika aur jantu koshika mein antar , padap koshika ka namankit chitra ,पादप कोशिका का भाग, कोशिका भित्ति, कोशिका भीती के निर्माण का कारण, कोशिका भित्ति के कार्य का वर्णन, प्रथम पटल, मध्य पटल, द्वितीय पटल, तृतीय पटल,  जिव  द्रव्य  का वर्णन ,  कोशिका  द्रव्य का विभाजन, केन्द्रक का विभाजन, जिव द्रव्य का गुण, रिक्तिया तथा रसधानिया, रिक्तिया का कार्य इत्यादि के बारे में  जानकारी देने की कोशिस किये है ।

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