पादप कोशिका: सभी प्रकार के जिव, जन्तुओ तथा पादपों में कोशिका भी कोशिका पाया जाता है । यह जंतु कोशिका से भिन्न होती है । यदि जंतु कोशिका की बाहर की जाये तो जंतु कोशिका की बाहरी आवरण को प्लाज्मा झिल्ली कहाँ जाता है । जबकि पादप कोशिका के बाहरी आवरण को कोशिका भीति के अंतर्गत रखा जाता है । कोशिका भीति सेलुलोस से बनती है । पादप कोशिका का चित्र, इस आर्टिकल के ऊपर में जो चित्र है । वह पादप कोशिका का चित्र है ।
पादप कोशिका का भाग :
पादप कोशिका के तीन भाग होते है :-
(i) कोशिका भित्ति
(ii) जीव द्रव्य
(iii) रसधानिया या रिक्तिका
(i) कोशिका भित्ति :- पादप कोशिका एक निर्जीव संरचना की बनी होती है । जो सेलुलोज के द्वारा बनी होती है । जिसका निर्माण कोशिका द्रव्य एंव तथा इनके द्वारा स्त्रावित पदार्थ द्वारा तैयार किया हुआ रहता है । तथा यह पादप कोशिका के चारों ओर से घिरा हुआ रहता है । पादप कोशिका का चित्र इस पोस्ट के ऊपर में दिया गया है ।
कोशिका भीति के निर्माण का कारण :
कोशिका भीति के निर्माण में गॉल्जी उपकरण काफी भूमिका निभाता है । कोशिका भित्ति का निर्माण भिन्न- भिन्न परतों द्वारा होता है ।
(a) प्रथम पटल
(b) मध्य पटल
(c) द्वितीय पटल
(d) तृतीय पटल
(a) प्रथम पटल :- इसको प्रार्थमिक कोशिका पटल के द्वारा भी जाना जाता है । यह सेलुलोस के द्वारा बनी होती है ।
(b) मध्य पटल :- यह पटल पेक्टिन और कार्बोहाइड्रेड से मिलकर बना होता है । जिसका अर्थ दो कोशिकाओं को जोड़ना होता है ।
(c) द्वितीय पटल:- द्वितीय पटल तथा द्वितीय कोशिका भीति का निर्माण सेलुलोस तथा लिग्निन से होता है । यह प्रथम पटल की भीतरी सतह पर पाया जाता है ।
(d) तृतीय पटल :- इस पटल का निर्माण प्रोटोप्लाज़्म से होता है । इसके सभी जगह पर छोटा- छोटा छिद्र होता है । जिसकी सहायता से सभी प्रकार की कोशिकाएं एक दूसरे से जुड़े होते है ।
कोशिका भीति के कार्य का वर्णन :
कोशिका भीति का विभिन्न प्रकार की कार्य होती है । जो निम्न है :-
(i) इसका कार्य यह होता है की कोशिका को निश्चित आकार देना तथा दृढ़ता बनाना इसका मुख्य कार्य है ।
(ii) इसकी दूसरी कार्य है । खाद्य पदार्थ का परिवहन करना ।
जीव द्रव्य का वर्णन :
कोशिका से घिरे सभी जीवित पदार्थ को जिव द्रव्य ही कहाँ जाता है ।
जिव द्रव्य का भाग:
इसके दो भाग होते है :-
(i) कोशिका द्रव्य
(ii) केन्द्रक
कोशिका द्रव्य का विभाजन :
कोशिका द्रव्य को तीन भागों में बाटा गया है, जिसका नाम निम्न है :-
(a) जिव द्रव्य कला
(b) रिक्तिका कला
(c) कोशिका कला
केन्द्रक का विभाजन :
केन्द्रक का विभाजन चार प्रकार से किया गया है, जिसका नाम निम्न है:-
(a केन्द्रक कला
(b) केन्द्रक द्रव्य
(c) केन्द्रिका
(d) क्रोमैटिन धागा
जीव द्रव्य का गुण:
जीव द्रव्य में निम्नलिखित प्रकार की गुण पाया जाता है, जिसकी जानकारी निचे दिया गया है :-
(i) जीव द्रव्य एक प्रकार का रंगहीन, अर्धपारदर्शी, तथा तरल पदार्थ है ।
(ii) जीव द्रव्य का 80% भाग तक में जल पाया जाता है । तथा जो शेष बच जाता है । वह कार्बनिक तथा अकार्बनिक का बना होता है ।
(iii) इसे एक प्रकार का कोलायडी विलयन कहाँ जाता है । जिसके दो रूप होते है ।
(iv) यह द्रव्य एक जटिल मिश्रण होता है । जिसमे मात्रा की बात की जाये तो हाइट्रोजन की मात्रा 10 %, ऑक्सीजन 62%, कार्बन 20%, तथा नाइट्रोजन 8% पाया जाता है ।
(v) पादपों के जीव द्रव्य में अकार्बनिक लवण 1%, कार्बोहाइट्रेड 20%, प्रोटीन 2-4%, DNA 0.5%, RNA 0.7% तथा शेष में जल पाया जाता है ।
रिक्त्या तथा रसधानिया :
पादप कोशिका के कोशिका द्रव्य में विभिन्न प्रकार की खाली स्थान पाया जाता है । इसी को रिक्तिया तथा रसधानिया के अंतर्गत रखा जाता है । यदि रिक्तिका कला की बात की जाये तो रिक्तिका के चारों ओर एक झिल्ली पाई जाती है । जिसे रिक्तिका कला के अंतर्गत रखा जाता है ।
रिक्तिका का कार्य :
(a) इसका कार्य जल, भोजन को भंडार करना इसका मुख्य कार्य है ।
(b) कोशिका द्रव्य को स्फीद बनाये रखना ।
(c) फूलो का रंग जो लाल तथा नीला होना जिस कारण से होता है । उसमे मुख्य भूमिका एन्थ्रोसैनिन निभाता है ।
पादप कोशिका का कार्य :
पादप कोशिका का कार्य निम्नलिखित है :-
(i) प्रकाश संश्लेषण की क्रिया पादप कोशिका के द्वारा ही होता है ।
(ii) प्रकाश संश्लेषण की क्रिया पादप कोशिका की क्लोरोप्लास्ट के द्वारा होती है ।
पादप कोशिका और जंतु कोशिका में अंतर :
पादप कोशिका एंव जंतु कोशिका में अंतर निम्नलिखित है :-
(i) पादप कोशिका एक कठोर सेल्यूलोजी से बनी होती है । जो कोशिका भित्ति से घिरे रहते है । यह भीतरी प्लाज़्मा के झिल्ली के चारो तरफ रहती है । तथा जंतु कोशिका में ऐसा कोई भी कोशिका भित्ति नहीं होती है ।
(ii) पादप कोशिका में एक विशेष हरित लवक होता है । जिसकी सहायता से प्रकाश संश्लेषण की क्रिया कर पाते है ।
(iii) कोई भी प्राणी अपना आहार संश्लेषित करने में सक्षम नहीं हो पाटा है । क्योकि उसमे हरित लवक नहीं होता है । परन्तु उच्च वर्ग के पादपों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया पातियो तथा नए प्ररहौ में सिमित होती है । क्योकि वही पर हरित लवक होते है ।
(iii) सभी पादप कोशिका में तारक केंद्र नहीं पाया जाता है । परन्तु जंतु कोशिका में तारक केंद्र पाया जाता है ।
निष्कर्ष : इस आर्टिकल में पादप कोशिका, पादप कोशिका का भाग, कोशिका भित्ति, कोशिका भीती के निर्माण का कारण, कोशिका भित्ति के कार्य का वर्णन, प्रथम पटल, मध्य पटल, द्वितीय पटल, तृतीय पटल, जिव द्रव्य का वर्णन , कोशिका द्रव्य का विभाजन, केन्द्रक का विभाजन, जिव द्रव्य का गुण, रिक्तिया तथा रसधानिया, रिक्तिया का कार्य इत्यादि के बारे में जानकारी देने की कोशिस किये है ।
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