प्रदुषण :-
वर्तमान समय में प्रदुषण एक समस्या, मनुष्य के लिए एक गंभीर समस्या बन गई है । विस्फोट की तरह बढ़ रही जनसंख्या प्रदुषण का मुख्य कारण है ।
जनसंख्या बढ़ने के कारन लोग वनो की कटाई करके घर बना रहे है । गाड़ी घोड़ो की संख्या में काफी बढ़ोतरी हो रही है । अनेक प्रकार की फैक्टरिया खुल रहे है । इस सबो के द्वारा उत्सर्जित अवशिष्ट पदार्थ प्रदुषण फैला रहा है । प्रदुषण के कारन लोग आज भारी संख्या में बीमार पर रहे है । इस प्रदूषण के कारण ही पर्यावरण प्रदुषण भी काफी मात्रा में बढ़ते जा रहा है ।
प्रदुषण कई प्रकार के होते है ।
वायु प्रदुषण :- जनसख्या बढ़ने के कारन लोग भरी संख्या में गाड़ी – घोड़े खरीद रहे है । और उससे निकलने वाले धुँवा वायु को प्रदूषित कर रहे है । मनुष्य अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अनेक प्रकार की फैक्टरिया खोल रहे है । और इनसे निकलने वाली धुँआ वायु को प्रदूषित कर रहे है ।
जनसख्या बढ़ने के कारन लोगो को घर बनाने के लिए जगह – जमीन की कमी होता जा रहा है जिसके कारन लोग वनो की कटाई कर और उस जगह पर अपना घर बना रहे है । तथा वनो की कमी होने के कारन प्रदूषण रुकने का नाम नहीं लेते है । क्योकि प्रदूषित वायु से धूलकण पौधों के द्वारा आकर्षित हो जाते है ।
वायु प्रदुषण के कारन हमलोग श्वसन सम्बंधित बीमरी का शिकार होते जा रहे है । इतना ही नहीं आज कल के बच्चे भी श्वसन सम्बन्धी बीमारी का शिकार होने लगा है ।
वायु प्रदूषण रोकने का उपाय :-
वायु प्रदुषण रोकने का कई सरे उपाय है । वायु प्रदुषण रोकने के लिए सबसे पहले हमें जनसख्या वृद्धि को कंट्रोल करना चाहिए । जनसख्या वृद्धि रोकने का हमारे वैज्ञानिक ने कई सारे उपाय को खोज किया है । वनो की कटाई पर सरकार को क़ानूनी प्रतिबन्ध लगाना चाहिए । तथा वनो को लगाने पर ज्यादा जोर देना चाहिए ।
बस , ट्रक , कार इत्यादि गाड़ी घोड़े से कम मात्रा में धुँआ उत्सर्जित कर का व्यवस्था करना चाहिए । तथा सभी गाड़ी – घोड़े का प्रदुषण जांच करके प्रदुषण सर्टिफिकेट बनवा लेना चाहिए । कूड़ा- कचरे को खुले मैदान में नहीं छोड़ना चाहिए । कूड़े- कचरे को मिटटी के अंदर डाल देना चाहिए । ताकि वह अपघटित होने के बाद वायु को प्रदूषित नहीं करे ।
जल -प्रदुषण :-
जल हमारे जीवन के लिए अति – महत्वपूर्ण है । जल के बिना कोई भी जीव जीवित नहीं रह सकता है । हमारे पूर्वजो को मानना है । है। की जल ही जीवन है । इसलिए जल को प्रदुषण से बचाना हमारा कर्तव्य बनता है । अति – सीग्र गति से बढ़ती जनसंख्या जल प्रदुषण का खतरा बन गया है । जनसंख्या बढ़ने के कारण लोग ज्यादा मात्रा मॉल – मूत्र, कूड़ा – कचरा अपने घरो से नली के द्वारा जलाशयों में बहाव कर देते है । तथा अनेक फैक्टरियों – कारखानों से उत्पन्न अवशिष्ट पदार्थ का बहाव नली के द्वारा नदी में कर देते है । जिसके कारण जल काफी मात्रा में प्रदूषित हो जाते है ।
जल – प्रदुषण का प्रभाव :-
जल – प्रदुषण से हमारे जीवन में काफी प्रभाव पड़ता है । जल – प्रदुषण के कारण जल में अनेक प्रकार के रोगाणु उत्पन्न होता है । जो रोगाणु जल में उपस्थित जीवो को बीमारियों से संक्रमित कर जानलेवा हमला करता है । तथा प्रदूषित जल का इस्तेमान जो भी जीव करता है । वह जीव में रोगाणु प्रवेश कर जानलेवा हमला करता है । प्रदूषित जल का इस्तेमाल करने से कई भी जीव स्वास्थ्य रही रह सकता है ।
जल – प्रदुषण रोकथाम का उपाय :-
जल प्रदुषण रोकथाम का निम्न है ।
(i) अपने घरो से निकलने वाले कचरा नली का बहाव जलाशय में नहीं करना चाहिए ।
(ii) कूड़ा- कचरा खुला जगह में नहीं छोड़ना चहिये क्योकि कूड़ा – कचरा को खुला मैदान में छोड़ने पर वह हवा या वर्षा के माध्यम से जलाशय तक आराम से पहुंच सकता है ।
(iii) पीने -योग्य जल को हमेशा ढक कर रखना चाहिए ।
(iv) प्रदूषित जलाशय को को रासायनिक दवाओं के सहयता से प्रदुषण मुक्त करना चाहिए ।
मृदा- प्रदुषण :-
मृदा – प्रदुषण भी हमरे लिए समस्या बन कर खड़ा है । क्यों की हम मृदा पर ही पेड़- पौधे , फसल इत्यादि का उत्पादन करते है । यदि मृदा प्रदूषित हो जायेगा तो स्वच्छ फसल का उत्पादन नहीं हो पायेगा । इतना ही नहीं जहा का मृदा ज्यादा मात्रा में प्रदूषित हो जायेगा तो वह पर वन तथा फसल उगना भी बंद हो जायेगा । तथा वह का भूमि बंजर हो जयेगा ।
मृदा प्रदुषण का रोकथाम :-
मृदा प्रदुषण का रोकथाम निम्न प्रकार से है ।
(i) कूड़ा- कचरा को उपजाव भूमि के अंदर नहीं गाढ़ना चाहिए ।
(ii) फसलों में रासायनिक दवाओं का इस्तेमाल जरुरत के हिसाब से ही तथा काफी कम मात्रा में करना चाहिए ।
(iii) अवशिष्ट प्लास्टिक या पॉलोथिन को आग लगा कर जला देना चाहिए । क्योकि यदि इसे कही पर रख देंगे । तो वह हवा या किसी भी से उपजाव भूमि तक भी पहुंच सकता है । और वह पर जब फसल लगाएंगे तो उसका जड़ प्लास्टिक का पॉलोथिन पर, पर जायेगा तो उस फसल का विकास नहीं हो पायेगा ।
(iv) फसल लगाने से पहले समय – समय पर मृदा की जांच करवाना चाहिए ।
निष्कर्ष :- दोस्तों हम इस पोस्ट में प्रदुषण की व्याख्या, पर्यावरण प्रदुषण ,वायु प्रदुषण तथा मृदा – प्रदुषण, इत्यादि के बारे में जानकारी दिए है । इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको मन में इससे सम्बंधित किसी प्रकार का क्वेश्चन आता है । तो बेहिचक हमसे कमेंट के माध्यम से संपर्क करे । उसका रिप्लाई हम जल्द ही देने का प्रयास करेंगे ।
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