बल और गति के नियम
अन्योन्य क्रियाएँ एंव बल की अनुभूति : दो कणों के बीच आकर्षण- विकर्षण तथा क्रिया- प्रतिक्रिया के रूप में जो बल लगता है । वह बल अन्योन्य क्रिया कहलाता है । इस प्रकृति में जितने भी घटनाएँ होती है । वह अन्योन्य क्रिया के आधार पर ही होती है । जब किसी दो कणों के बीच जो गुरुत्वाकर्षण बल लगता है । यदि इस प्रकार के कणों पर विधुत आवेश गुरुत्वाकर्षण के अतिरिक्त वैधुत बल भी लगता है । गुरुत्वाकर्षण बल की प्रकृति हमेशा आकर्षण की होती है ।
जब हम किसी भी वस्तु को धकेलते है । तो उसपर हम आगे की ओर बल लगाते है । जब हम किसी भी वस्तु को अपनी ओर खींचती है । अर्थात बल का मूल अर्थ खींचना तथा धकेलना होता है । बल हमेशा जोड़ के रूप में रहता है । इसके उदाहरण के रूप में जब टेबुल पर रखी पुस्तक, टेबुल पर निचे की ओर बल लगाता है । तथा टेबुल हमेशा उसके विपरीत अर्थात ऊपर की ओर बल लगाती है ।
जब किसी भार वाले वस्तु को निलंबित करते है । तब रस्सा उसे रोके रखने के लिए बल लगाता है । इस प्रकार का बल रस्से में तनाव उत्पन्न करता है ।
प्रकृति के मौलिक बलों की मूल धारणा:
प्रकृति में होने वाली अन्योन्य प्रक्रियाएँ किसी न किसी मौलिक बल के कारण ही होती है । इस प्रकार के मौलिक बलों को चार श्रेणिओं में बाटा गया है । जिसका नाम निम्न है :-
(i) गुरुत्वीय अन्योन्य क्रिया
(ii) विधुत- चुंबकीय अन्योन्य क्रिया
(iii) नाभिकीय बल
(iv) मंद अन्योन्य क्रिया
(i) गुरुत्वीय अन्योन्य क्रिया: जब द्रव्यमान के कारण दो वस्तुओं के बीच जो आकर्षण बल होता है । उसे गुरुत्वाकर्षण बल कहते है ।
कम परिणाम का यह बल मात्र 3 माइक्रोग्राम की वस्तु को पकड़े रखने के लिए आवश्यक होता है । शक्ति की दृष्टि से गुरुत्वीय अन्योन्य क्रिया सबसे कम शक्तिशाली होता है ।
(ii) विधुत चुम्बकीय अन्योन्य क्रिया : दो कणों के बीच गुरुत्वीय बल के आलावा उनपर निहित आवेश की उपस्थिति के कारण लगने वाला बल विधुत चुम्बकीय अन्योन्य क्रिया उत्पन्न करता है ।
प्रत्येक वस्तु अणुओं तथा परमाणुओं से मिलकर बनी होती है । अणु एंव परमाणु की संरचना इलेक्ट्रॉन, प्रोट्रॉन तथा न्यूट्रॉन जैसे मूल कणों को मिलने से बनती है । इलेक्ट्रॉन तथा प्रोट्रॉन क्रमशः ऋणात्मक तथा धनात्मक आवेशित कण होता है ।
बल और गति के नियम:दैनिक जीवन में विधुत- चुंबकीय अन्योन्य क्रिया के अधीन कार्यकारी बलों के कुछ उदाहरण
आणविक एंव परमाणविक घटनाओं के अतिरिक्त दैनिक जीवन की घटना भी तो विधुत चुम्बक के कारण ही होती है । इसका कुछ उदाहरण निचे देने की प्रयास कर रहे है :-
(i) दो तलों के बीच सम्पर्की बल : जब दो तल एक दूसरे के संपर्क में होता है । तो उनके परमाणु बहुत ही एक दूसरे के निकट आ जाते है । तथा इस प्रकार के परमाणुओं का आवेशित कण हमेशा अत्यधिक बल आरोपित करते है । यह बल सम्पर्की अभिलम्ब प्रतिक्रिया के रूप में होता है ।
(ii) डोरी में तनाव : किसी प्रकार की रस्सी की तनन की अवस्था में रखने के लिए इसके दोनों सिरों पर विपरीत दिशाओं में डोरी की लम्बाई के अनुरेख सामान परिमाण के बल लगाना पड़ता है । इसके उदाहरण के रूप में रस्साकशी में दो टीमें एक ही रस्सी को अपनी- अपनी ओर खींचती है । जिससे रस्सा तना रहता है । डोरी में तनाव की प्रकृति भी मूलतः विधुत चुम्बकीय होता है ।
किसी दृढ आधार से जुड़ी डोरी से यदि कोई वस्तु निलंबित हो तो वस्तु के निकट वाली डोरी के सिरा का इलेक्ट्रॉन तथा प्रोट्रॉन, वस्तु के इलेक्ट्रॉन तथा प्रोट्रॉन पर विधुत चुंबकीय बल लगाते है । तथा इसका परिणाम बल तनाव के रूप में वस्तु पर लगता है ।
(iii) स्प्रिंग बल : एकसमान अनुप्रस्थ के सर्पिल के रूप में धातु के तार को कुंडलित करने पर स्प्रिंग बनता है । किसी भी क्षैतिज तल पर स्प्रिंग सामान्य अवस्था में शिथिल रहता है । जब इसके सिरों पर कोई भी बल नहीं लगाया जाता है । इसके दोनों सिरों के बीच अक्ष के अनुदिश लम्बाई को स्प्रिंग की स्वाभाविक लम्बाई अथवा शिथिल लम्बाई भी कहाँ जाता है । इसके दोनों सिरों को विपरीत दिशाओं में खींचने पर स्प्रिंग की लम्बाई में प्रसार होता है । तथा दबाने पर संकुचन होता है ।
(iv) मंद अन्योन्य क्रिया : गुरुत्वीय और नाभिकीय बलों के अतिरिक्त एक अन्य प्रकृति की अन्योन्य क्रिया भी होती है । जिसका सम्बन्ध इलेक्ट्रान, प्रोट्रोन, के बीच होनेवाली प्रतिक्रिया से है । जब न्यूट्रॉन का विघटन प्रोट्रोन में होता है । तब इलेक्ट्रान के अतिरिक्त एक अन्य कण एणिट्रोनो भी उतसर्जित होता है ।
निष्कर्ष : दोस्तों इस पोस्ट में हमने अन्योन्य क्रिया एंव बल की अनुभूति, प्रकृति के मौलिक कणो की अवधारणा, गुरुत्वीय अन्योन्य क्रिया, विधुत चुम्बकीय अन्योन्य क्रिया, दो तलों के बीच सम्पर्की बल, डोरी में तनाव, स्प्रिंग बल, मंद अन्योन्य क्रिया इत्यादि के बारे में बताने की कोशिस किये है । यदि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद किसी भी प्रकार की क्वेश्चन बनती है । तो बेहिचक हमसे कमेंट के माध्यम से पूछे उसका रिप्लाई हम अर्जेन्ट देने की कोशिस करेंगे ।
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