मलेरिया रोग: मलेरिया रोग के लक्षण एंव नियंत्रण

मलेरिया रोग:- मलेरिया रोग बहुत ही खतरनाक रोग है । यह रोग मादा एनोफेलीज नामक मच्छर को काटने से होता है ।  मलेरिया रोगो  से कई देश के लोग परेशान रहते है । जिसमे भारत देश भी शामिल है । मलेरिया रोग से ग्रसित व्यक्ति को कंपन के साथ तेज बुखार आता है । कंपन के साथ बुखार आने का समय-अंतराल निर्धारित रहता है । ये समय-अंतराल  कई तरह का होता है ।  जो प्लाज्मोडियम की जातियाँ पर निर्भर करता है । 

मलेरिया रोग उत्पन्न होने के कारण:-

हमारे देश में काफी मात्रा में बढ़ रही जनसंख्या के कारण  कूड़ा- कचरा , मॉल -मूत्र , प्रदुषण काफी मात्रा में फैल रहा है । जिसके कारण मच्छर  की उत्पति विस्फोट की तरह प्रतिदिन होता है । इन्ही मच्छरों में से एक मादा एनोफेलीज नमक मच्छर की जाती होता है । इसी मच्छर के काटने से मलेरिया रोग होता है ।

मनुष्य में अलैंगिक प्रजनन होता है । जबकि मच्छरों में लैंगिक प्रजनन होता है । जिसके कारन मच्छरों की संख्या में काफी वृद्धि होता है । मादा एनोफिलीज मच्छर के लार ग्रंथि में संक्रमित अवस्था में स्पोरोज्वायट हजारो की संख्या या उससे भी ज्यादा संख्या में स्थित रहता है । 

जब मच्छर मनुष्य को चूसता है । तो मादा एनोफिलीज मच्छर के लार में उपस्थित स्पोरोज्वायट मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर लेता है । तथा नया जीवन चक्र प्रारम्भ करता है । 

मलरेरिया की जातियाँ:-  

मलेरिया परजीवी प्लाज्मोडियम से उत्पन्न होता है । जिसका चार जातीय होता है । 

(i) प्लैज्मोडियम वाइवेक्स:- इस जातियाँ के कारन टर्शियन ज्वर ( बुखार )  होता है । जो बुखार 48 घंटे के अंतराल पर पुनः लौट जाता है । यानि की बुखार हर तीसरे  दिन पर आ जाता है । 

(ii) प्लैज्मोडियम मैलेरिआई :- इस जातियाँ के कारन क्वार्टन ज्वर ( बुखार ) होता है । जो बुखार (fever) 72 घंटे के अंतराल में पुनः आ जाता है । यानि की हरेक चौथे दिन पर बुखार पुनः लौट कर आ जाता है । 

(iii)  प्लैज्मोडियम फैल्सीपेरस :- प्लाजोडियम के इस जाती के द्वारा मैलिग्नेंट या टरशियन  ज्वर ( बुखार ) होता है । जो बुखार समय – अंतराल निर्धारित नहीं रहता है । जो बुखार नियमित रूप से आता रहता है । 

(iv) प्लैज्मोडियम ओवेले :- इस जाती के कारन बुखार साधारणतः हरेक 48 घंटे पर बुखार पुनः आ जाता है ।  

मलेरिया रोग का लक्षण:-

मलेरिया रोग की पहचान आम व्यक्ति भी कर सकता है । इसका लक्षण इस प्रकार से है ।

(i) अचानक जोर से कंपन होना तथा कंपन के साथ – साथ तेज बुखार आया मलेरिया का प्रमुख लक्षण है । इसके साथ – साथ सर दर्द एवं पेशिया में दर्द करना मलेरिया का ही लक्षण है । इस लक्षण के मलेरिया बुखार में RBC टूटकर  हिमोजाइन में मिल जाता है । जो एक विषैला पदार्थ बन जाता है ।

(ii) शरीर के प्लीहा का आकार काफी बाद बढ़ जाना मलेरिया का लक्षण है । 

(iii) समय अंतराल के अनुसार पुनः तेज बुखार आना मलेरिया का लक्षण है । जैसे – 48 घंटे के अंतराल पर पुनः तेज बुखार आना ।

(iv) इस रोग में में रोगी को तीन प्रकार का अवस्था होता है ।

(a)  ठंडा अवस्था – इस अवस्था में रोगी को ज्यादा ठंडा एवं कंपन होता है ।

(b) गर्म अवस्था – इस अवस्था में रोगी को काफी तेज से सिरदर्द तथा तेज बुखार होता है । बुखार का तप 105.F तक होता है ।

(C) पसीना अवस्था – इस अवस्था में रोगी के शरीर का ताप काफी काम हो जाता है तथा शरीर से ज्यादा मात्रा में पसीना निकलता है ।

मलेरिया रोग का नियंत्रण :-

मलेरिया का नियंत्रण निम्नलिखित है ।

(i) मलेरिया को रोकने का अभी तक कोइ भी टिका नहीं बन सका है । लेकिन हमारे वैज्ञानिक इसका टिका बनाने का प्रयास काफी हद तक कर रहा है । 

(ii) वर्तमान में मलेरिया का सबसे प्रमुख दवा है। कुनैन जो दवा सिनकोना की छाल से बनाया जाता है । कुनैन से ही अनेक प्रकार का टैबलेट तैयार किया जाता है । 

(iii) हमारे वैज्ञानिक ने सेंट्रल ड्रैग रिसर्च इंस्टीच्यूट , लखनऊ ( भारत ) के वैज्ञानिक ने एक नया पौधा का खोज किया है। जिस पौधा का नाम है । अन्तेमिसिया इस पौधा से आर्टीथर नामक पदार्थ प्राप्त किया जाता है । जिसका उपयोग मलेरिया रोग के दवा के रूप में किया जाता है ।

यदि किसी व्यक्ति को मलेरिया रोग हो जाता है । तथा उसे समय पर इलाज नहीं होता है । तो वह बीमारी एक विशाल रूप पकड़ लेता है । जिसे इलाज करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है । इसलिए यदि इस प्रकार की बीमारी का अनुभूति हो तो जितनी जल्द हो सके उतनी ही जल्द इसका इलाज सही ढंग से किया जाना चाहिए ।

मलेरिया रोग का रोकथाम :-

मलेरिया के रोकथाम के लिए हमारे सरकार ने भी कई कदम उठाये है ।  क्योकि मलेरिया बहुत खतरनाक रोग है । इसे जड़ से ही ख़त्म कर देना चाहिए । मलेरिया को रोकने के लिए हमें मच्छरों से बचना चाहिए । या नहीं तो मच्छर को ही नष्ट कर देना चाहिए।

इसके लिए हमें कही पर टूटे – फूटे बर्तन , डब्बा , प्लास्टिक नहीं फेकना चाहिए । तथा कही  पर भी  कचरा या गन्दगी फैला कर नहीं रखना चाहिए । जिससे मच्छर की वृद्धि में रूकावट आ सके । तथा नालो , गड्ढो , कचरे जगह पर DDT का  छिड़काव करना चाहिए । या नहीं तो उस जगह पर किरोसिन तेल का छिड़काव करना चाहिए । ताकि मच्छर की लार्वा नष्ट हो जाये तथा मच्छर की वृद्धि रुके ।

इसके साथ – साथ हमें मलेरिया  मच्छर  से बचने के लिए घरो मच्छर नाशक वस्तु जैसे मैक्सो , मच्छर- नाशक  रासायिक दवा आदि का इस्तेमाल करना चाहिए । तथा रात को मच्छरदानी के अंदर ही सोना चाहिए । और सोने से पहले खुले शरीर में सरसो तेल या कोइ भी तेल अवश्य लगानी चाहिए । ताकि मच्छर का सुर हमारे शरीर में चुव न सके ।

निष्कर्ष :- दोस्तों इस पोस्ट में हमने मलेरिया रोग के बारे में तथा मलेरिया रोग का नियंत्रण एवं रोकथाम के बारे में बताये है । ताकि सभी व्यक्ति को मलेरिया के डर से मुक्ति मिल जाये । इस पोस्ट को पढ़ने के बाद यदि आपके पास किसी भी प्रकार का क्वेश्चन बनती है । तो बेहिचक कमेंट के माध्यम से या किसी भी माध्यम से हमसे संपर्क कर सकते है ।

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