विधुत धारा तथा आवेश संरक्षण का सिद्धांत

विधुत धारा:  आजकल  सभी प्रकार का यन्त्र  विधुत पर चलने वाला बन गया है । अर्थात टीवी, पंखे, ट्रांजिस्टर, टेलीफोन, कंप्यूटर इत्यादि सभी बिजली अर्थात आवेश या विधुत धारा पर आधारित हो गया है । जब से विधुत धारा का  फैलाव  शहर से लेकर गाँवो तक हुई है । तब से  लोंगो  को बहुत ही सुविधा हुई है । कम समय में ज्यादा से ज्यादा काम हो जाता  है । तथा विधुत आधारित काम में, मेहनत  भी  कम ही  पड़ता है ।

यदि विधुत धारा की परिभाषा की बात की जाये तो इसका सामान्य परिभाषा यह होता है । आवेश के प्रवाह को विधुत धारा कहाँ जाता है । इसे विस्तार से कहाँ जाये तो जब किसी भी प्रकार के चालक तार से  आवेश  का प्रवाह होता है । वह विधुत धारा कहाँ जाता है ।

आवेश संरक्षण  का  सिद्धांत :

आवेश संरक्षण का सिद्धांत निम्न है :-

आवेश को न तो कभी उत्पन्न  किया जा सकता है । और  न ही कभी नस्ट किया जा सकता है । आवेश को सिर्फ एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है । अर्थात आवेश हमेशा संरक्षित रहता है ।

चालक तथा विधूतरोधी  :

चालक: दुनिया में सभी पदार्थ है । उसी में कुछ पदार्थ चालक होता है । तथा कुछ पदार्थ अर्धचालक एंव कुछ पदार्थ कुचालक होता है । तो आगे मैं चालक की जानकारी बताने की कोशिस करता हूँ । वैसा पदार्थ जिससे होकर आसानी से अर्थात सुगमता से आवेश का प्रवाह होता हो । उसे चालक कहते है । चालक का कुछ उदाहरण निम्न है । तांबा, कॉपर, अल्मुनियम तथा लोहा इत्यादि,चालक का उदाहरण है ।

विधूतरोधी : वैसा पदार्थ जिससे होकर आसानी से आवेश का प्रवाह न होता हो । वह विधूतरोधी के अंतर्गत आता है । इसका कुछ उदाहरण निम्न है । कांच, लकड़ी, कोयला इत्यादि विधूतरोधी का ही उदाहरण है ।

चालक तथा विधूतरोधी का कुछ उदाहरण टेबल के द्वारा  दर्शाने  की  कोशिस  कर रहे है :- 

                            चालक  पदार्थ                   विधूतरोधी पदार्थ 
                             ताँबा                         काँच
                             चाँदी                          लाह
                             लोहा                          मोम
                             इस्पात                          चमड़ा
                            अशुद्ध जल                          एबोनाइट
                            नमीयुक्त हवा                           रबर
                             पृथ्वी                          लकड़ी
                            किसी भी सजीव का शरीर                          शुद्ध जल
                             ग्रेफाइट                          चीनी मिट्टी

विधुत विभव :

किसी भी बिंदु पर विधुत विभव कार्य का वह परिमाण होता है । जो प्रति एकांक आवेश को अनंत से उस बिंदु तक लाने में जो कार्य किया जाता है । वह विधुत विभव कहलाता है । अनंत पर विधुत विभव को हमेशा शुन्य माना जाता है ।

इसे समीकरण के द्वारा दर्शाने की कोशिस निचे किये है ।

जब आवेश q को अनंत से किसी बिंदु p तक लाने में जो कार्य किया जाता है । वह यदि w हो तो p बिंदु पर विधुत विभव,

v=w/p

यदि विधुत विभव की S.I मात्रक कहाँ जाये तो इसका S.I  मात्रक जूल प्रति कलाम  होता है । इसकी सूत्र की जानकारी कहाँ जाये तो,

विधुत विभव का S.I मात्रक  = कार्य  का   S.I  मात्रक / आवेश का  S.I मात्रक = जूल/ कूलॉम होता है । विधुत विभव का मात्रक वोल्ट होता है । जो नाम इटली के वैज्ञानिक आलेसांड्रो वोल्टा के नाम पर रखा  गया था । जिसका जन्म 1745 ईसवी में हुई थी एंव इस वैज्ञानिक की मृत्यु 1827 ईस्वी में हो गई ।

आवेशित वस्तुओं का विभव :

एक धनावेशित वस्तु का विभव धनात्मक होता है । जबकि एक ऋणावेशित वस्तु का विभव ऋणात्मक होता है । क्योंकि  विधुत विभव के परिभाषा के अनुसार यदि कोई धन आवेशित वस्तु को, एक बिना आवेशित वस्तु की ओर लाते है । तो उसपर कोई भी कार्य नहीं करना पड़ता है । इसलिए कार्य नहीं करना पड़ता है । क्योंकि इसके परिभाषा के अनुसार अनावेशित वस्तु का विभव शुन्य होता है ।

विभवांतर: 

दो विभवों के बीच के अंतर को विभव कहाँ जाता है । यदि किसी आवेश q  को, बिंदु B से  बिंदु A  तक लाने में किया गया कार्य Wab हो तो A  और B  के बीच  विभवांतर,

निष्कर्ष:  दोस्तों इस ब्लॉग पोस्ट में हमनें विधुत धारा, आवेश संरक्षण का सिद्धांत, चालक तथा विधुत रोधी की जानकारी, विधुत विभव, आवेशित वस्तुओं का विभव, चालक तथा विधुत रोधी एंव विभवांतर  इत्यादि के बारे में बताने की पूर्ण कोशिस किये है।

यदि इस जानकारी को प्राप्त करते समय किसी भी प्रकार की बाहरी क्वेश्चन आपके मन में बनती है । तो निसंकोच हमसे कमेंट के माध्यम से संपर्क करने की कोशिस करे । उसका रिप्लाई हम जल्द से जल्द देने की कोशिस करेंगे ।यदि इससे सम्बंधित अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते है । तो निचे दिए गए अन्य पाठ को भी पढ़े ।

अन्य पाठ भी पढ़े :

1 thought on “विधुत धारा तथा आवेश संरक्षण का सिद्धांत”

Leave a Comment