इस पोस्ट में हमने सरल रेखा तथा समतल में कण की गति इत्यादि के बारे में बताने की कोशिस किये है । यदि पोस्ट को पढ़ने के बाद किसी भी प्रकार की राय तथा सुझाव हो तो कमेंट के माध्यम से राय तथा सुझाव देने की कोशिस करे । उसका हम अपडेट जल्द देने की कोशिस करेंगे ।
कण की अभिधारणा :
जब वस्तुओं में किसी भी प्रकार की होनेवाली एक सामान्य घटना होती जिसे गति के अंतर्गत रखा जाता है । जब हम चलते है, दौड़ते है । या किसी बस में यात्रा करते है । उस समय भी हम गति में रहते है । चाहे हम बस में बैठे क्यों न ही रहते है । जब पुरे दिन हमलोग काम करके थक जाते है ।
जब आराम के लिए रात को सोते है । उस समय भी रक्त संचार के क्रम में हमारा रक्त गति की अवस्था में रहती है । जब किसी भी पेड़ पति गिरती है । तथा नदी या सागर में धारा का परवाह होता है । उसे भी गति के अंतर्गत रखा जाता है । हमारा पृथ्वी भी अपने दैनिक गति के क्रम में 24 घंटे में एक घूर्णन तथा वार्षिक गति में सूर्य के चारों ओर एक वर्ष में गति पूरा कर पाती है । जहाँ तक की बात है । गैलेक्सी भी एक गति में ही रहती है ।
गति का वास्तविक अर्थ से क्या समझते है?
गति का वास्तविक अर्थ होता है । वस्तु में समय के साथ, स्थान में परिवर्तन । अर्थात जब कोई वस्तु या पिंड किसी एक स्थान से दूसरे स्थान तक चला जाता है । इससे जो स्थान परिवर्तन होता है । उसे गति कहते है । गति भी कई विमीय होता है । जिसका उल्लेख निचे किये है –
एक विमीय गति : जब कोई भी कण या वस्तु केवल X दिशा में गतिशील रहता है । तो इस प्रकार के कण का वेग तथा त्वरण y तथा z निर्देशांकों के अनुदिश शुन्य के बराबर होता है । इस प्रकार के गति को एक विमीय गति ही कहलाता है ।
समतल में गति / द्विविमीय गति : जब किसी कण की गति समतल तथा वक्र पृष्ट पर हो । तब कण की स्थिति को दर्शाने के लिए दो नियामकों को ज्ञात रहना अत्यंत आवश्यक हो जाता है । इस प्रकार के कण का वेग तथा त्वरण के दो प्रकार के घटक होता है । इसके उदाहरण के रूप में x-y तल में हो तो विस्थापन, वेग एंव त्वरण का मान X तथा Y निर्देशांकों के अनुदिश ज्ञात किया जाता है । जिसे समतल में गति तथा द्विविमीय गति कहाँ जाता है ।
त्रिविमीय गति : जब कोई कण किसी पथ पर आकाश में गतिशील हो तो इस प्रकार के स्थिति को निरूपित करने के लिए तीन प्रकार का नियामक (x,y,z) का ज्ञात रहना अत्यंत आवश्यक हो जाता है । इस प्रकार के गति में विस्थापन, वेग तथा त्वरण का मान परस्पर तीन लंबवत निर्देशांकों के अनुदिश ज्ञात किये जा सकते है । जिसे त्रिविमीय गति कहते है ।
विराम एंव गति से क्या समझते है ?
जब कोई वस्तु या पिंड समय के साथ नहीं बदलती है । तो उसे विरामावस्था में कहाँ जाता है । तथा जब किसी वस्तु या पिंड का स्थान समय के साथ बदलता है । उसे गत्यावस्था तथा गतिशील में कहाँ जाता है ।
विराम और गति दो प्रकार के होते है :-
(i) निरपेक्ष
(ii) सापेक्ष
इसके उदाहरण की चर्चा की जाये तो इसका उदाहरण जब हम किसी कमरे में बैठे रहते है । उस समय पृथ्वी, पेड़ तथा घर के सापेक्ष हम स्थिर रहते है । परन्तु पृथ्वी, सूर्य के चारों दीर्घवृत्तीय कक्षा में घूमती रहती है । इसका दूसरा उदाहरण की बात की जाये तो जब हम रेलगाड़ी में बैठे रहते है । तो रेलगाड़ी के सापेक्ष हम विराम में रहते है । तथा पृथ्वी के सापेक्ष हम गति में रहते है ।
निर्देश फ्रेम से क्या समझते है ?
जब किसी भी प्रकार की कण तथा गति का अध्ययन किसी प्रेक्षक के सापेक्ष किया जाता है । तो उसमें कण की स्थिति को बताने के लिए एक निर्देश फ्रेम की आवश्यकता होती है । जो निर्देश फ्रेम एक काल्पनिक, परस्पर लंबवत, नियामक अक्ष x , y , z होता है। जिस अक्ष के सापेक्ष कण की स्थिति निर्देशित करता है । जब कोई भी फ्रेम में एक घड़ी लगा दिया जाता है । तो इस कार्य के साथ- साथ समय की भी गणना भी हो जाती है ।
किसी भी निर्देश फ्रेम को चुनाव करने के लिए कोई भी निश्चित नियम नहीं होता है । किसी भी कण की स्थिति अथवा गति का वर्णन करने के लिए निर्देश फ्रेम का चुनाव सुविधा के अनुसार ही किया जाता है ।
निष्कर्ष : दोस्तों इस ब्लॉग पोस्ट में हमनें सरल रेखा ,समतल में कण की गति, कण की अवधारणा, विराम एंव गति, गति का वास्तविक अर्थ, निर्देश फ्रेम, एक विमीय गति, द्विविमीय गति तथा त्रिविमीय गति इत्यादि के बारे में कोशिस किये है ।
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3 thoughts on “सरल रेखा तथा समतल में कण की गति”