baudh dharm : बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग भी बहुत संख्या में है जिस प्रकार अन्य धर्म होते है उसी प्रकार अन्य धर्म होते है । उसी प्रकार baudh dharm भी होता है । यदि baudh dharm in hindi में जानना चाहते है । तो उसकी जानकारी मैं निचे देने की प्रयास कर रहा हूँ । जिसमे हम बौद्ध धर्म की सिद्धांत की भी व्याख्या करेंगे । सबसे पहले बात आती है । baudh dharm ke sansthapak कौन थे । तो इसमें बौद्ध धर्म के संस्थापक के रूप में गौतम बुद्ध को माना जाता है ।
गौतम बुद्ध को एशिया का ज्योति पुज्ज कहाँ जाता है । गौतम बुध का जन्म 563 ई० पू ० माना जाता है । इसका जन्म स्थान कपिलवस्तु की लुम्बिनी स्थान को माना जाता है गौतम बुद्ध के पिता का नाम शुद्धोधन थे । जो शाक्य गण के मुखिया थे । इनकी माता का नाम मायादेवी थी । जिनकी मृत्यु गौतम बुद्ध के सातवे दिन ही हो गई थी । उसके बाद इनका लालन – पालन बुद्ध के सौतेली माँ प्रजापति गौतमी ने किया था । गौतम बुद्ध को बचपन में सिद्धार्थ कहाँ जाता था ।
गौतम बुद्ध का विवाह :
गौतम बुद्ध का विवाह यशोधरा के साथ हुई थी । जब गौतम बुद्ध का विवाह यशोधरा के साथ हुई । उस समय यशोधरा की आयु मात्र 16 वर्ष की थी । शादी के बाद उनसे एक पुत्र उत्पन हुआ । जिसका नाम राहुल था ।
सिद्धार्थ जब कपिलवस्तु की सैर पर निकले तो उन्होंने क्या सब देखा :
जब सिद्धार्थ ने कपिल वस्तु की सैर पर । कपिल वस्तु की सैर पर निकलने के बाद चार दृश्यों को देखा । जिसका नाम निम्न है :-
(i ) बूढ़ा व्यक्ति
(ii ) एक बीमार व्यक्ति
(iii ) शव एवं
(iv ) एक सन्यासी को
सिद्धार्थ ने कपिलवस्तु की सैर पर कब निकला :
सिद्धार्थ ने 29 वर्ष की अवस्था में सांसारिक समस्याओ से व्यक्ति होकर गृह त्याग कर दिया । जिस अवस्था में बौद्ध धर्म को महाभिनिष्क्रमण कहाँ जाता है ।
सिद्धार्थ की शिक्षा :
जब सिद्धार्थ ने गृह त्याग कर दिया । गृह त्याग करने के बाद वैशाली के आलारकलाम से सांख्य दर्शन का शिक्षा ग्रहण की । सिद्धार्थ अर्थात गौतम बुद्ध का प्रथम गुरु आलारकलाम थे । इसके बाद का गुरु रुद्राकारामपुत्त थे । जो राजगीर के थे । उरुवेला में सिद्धार्थ को कौण्डिन्य , वप्पा , भादिया , अस्सागी एवं महानामा नाम का पाँच साधक मिले ।
सिद्धार्थ अथवा गौत्तम बुद्ध की तपस्या :
जब सिद्धार्थ ने 29 वर्ष की अवस्था में अपना गृह कर दिए । उसके बाद बिना अन्न जल ग्रहण किये , 6 वर्ष की कठोर तपस्या की । उसके बाद उनकी आयु 35 वर्ष की हो गई थी । उस समय वैशाख की पूर्णिमा की रत फल्गु अर्थात नरंजना नदी के तट पर पीपल वृक्ष के निचे सिद्धार्थ को ज्ञान की प्राप्ति हुई
जब सिद्धार्थ को ज्ञान की प्राप्ति हुई , उसके बाद का परिवर्तन :
जब सिद्धार्थ ज्ञान की प्राप्ति हो गई । उसके बाद बुद्ध के नाम से जानने लगे । जहाँ पर सिद्धार्थ को ज्ञान की प्राप्ति हुई । वह स्थान बोधगया कहलाने लगा । बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश सारनाथ में दिया । सारनाथ का दूसरा नाम ऋषियपतन था । इसलिए इसे बौद्ध ग्रंथो में धर्मचक्र प्रवर्तन कहा जाता है । गौतम बुद्ध ने उपदेश जो देते थे । वह पाली में था ।
गौतम बुद्ध ने अपना उपदेश कहाँ – कहाँ दिये :
बुद्ध ने अपना उपदेश बहुत जगह दिये । कुछ मुख्य स्थानों की जानकारी निचे दिये है । जिसमे वैशाली , कौशल , कौशाम्बी एवं अन्य राज्य में भी दिये थे । गौतम बुद्ध ने सबसे उपदेश श्रीवस्ती में दिए थे । श्रीवस्ती कोशल देश की राजधानी थी । इन राज्यों का शाशक बिम्बिसार , प्रेसेंजीत तथा उद्दीन था ।
महत्मा बुद्ध की मृत्यु :
महत्मा बुद्ध की मृत्यु 80 वर्ष की अवस्था में हुई थी । जिसका निश्चित समय 783 ई० पू ० हुई थी । स्थान का नाम कुशीनारा अर्थात देवरिया उत्तर – प्रदेश में । गौतम बुद्ध की मृत्यु चुन्द द्वारा अर्पित भोजन करने के बाद हो गई । इस परिघटना को महापारिनिर्माण कहा जाता है । जब गौतम बुद्ध की मृत्यु हो गई । उसके बाद मल्लो ने अत्यंत सम्मानपूर्वक के साथ बुद्ध का संस्कार किया । इस विषय में एक अनुश्रृति के अनुसार जब महत्मा बुध की मृत्यु हुई । उसके बाद उनके शरीर को आठ भागो में बाटा गया । उसके बाद उन पर आठ स्तूपों का निर्माण किया गया ।
बुद्ध का जन्म एवं मृत्यु का निर्धारण :
बुद्ध के जन्म एवं मृत्यु की तिथि कैंटोन अभिलेख द्वारा निश्चित की गई है ।
यह चीनी परम्परा के अनुसार है । बौद्ध – धर्म के बारे में त्रिपिटक विशद ज्ञान विनयपिटक सूत्रपिटक एवं अभिदम्भपिटक से प्राप्त होता है ।इन पिटको की भाषा पाली है ।
बौद्ध – धर्म का मूल – सिद्धांत :
बौद्धधर्म को मूलतः अनीश्वरवादी कहाँ गया है । इस धर्म में आत्मा की परिकल्पना नहीं है । एवं बौद्धधर्म में पुनर्जन्म की मान्यता को दिया गया है । बुद्ध का निर्माण तृष्णा को क्षीण हो जाने की अवस्था को कहाँ जाता है ।
गौतम बुद्ध के द्वारा उपनिषद से ली गई बात :
विश्व दुखो से भरा हुआ है । इस प्रकार की सिद्धांत ने उपनिषद से लिये है ।
गौतम बुद्ध के अनुयायी का विभाजन :
गौतम बुद्ध के अनुयायी को दो भागो में विभाजित गया था ।
(i ) भिक्षुक : बौद्धधर्म के प्रचार के लिए जब सन्यास ग्रहण किया करते है । वह भिक्षुक कहाँ जाता है ।
(ii ) उपासक : जो भी व्यक्ति गृहस्थ जीवन में रहकर बौद्धधर्म को अपनाते है । वही उपासक कहलाता है । यदि बौद्ध धर्म में सम्मिलित होना चाहते है , तो इसकी आयु – सीमा 15 वर्ष है ।
बौद्धसंघ की उपसम्पदा :
बौद्धसंघ में प्रविष्ट होने की क्रिया को उपसम्पदा कहा जाता बौद्ध धर्म के त्रिरत्न मुख्य है । उनका नाम बुद्ध , धम्म एवं संघ है ।
बौद्ध धर्म की चतुर्थ बौद्ध संगीति के बाद विभाजन :
चतुर्थ बौद्ध संगीति के बाद , बौद्ध – धर्म को दो भागो में विभाजित किया गया है । जिसमे से एक नाम हीनयान एवं दूसरा का महायान है ।
बौद्ध धर्म का त्योहार :
बौद्धधर्म के द्वारा ही सबसे पहले धार्मिक जुलुस का प्रारंभ हुआ । इस धर्म का सबसे बड़ा त्योहार वैशाख पूर्णिमा है । इसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है । गौतम बुद्ध को , बुद्ध पूर्णिमा के नाम से इसलिए जाना जाता है । क्योकि बुद्ध पूर्णिमा के ही दिन बुद्ध का जन्म , ज्ञान की प्राप्ति तथा महापारिनिर्माण इत्यादि की प्राप्ति हुई थी ।
गौतम बुद्ध ने द्वारा सांसारिक तथ्य :
बुद्ध ने सांसारिक दुःखो के बारे में चार उपदेश दिए है :-
(i ) दुःख (ii ) दुःख समुदय (iii ) दुःख निरोध (iv ) दुःख निरोधगामिनी
गौतम बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग की बात :
गौतम बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग की बात निम्न है :-
(i ) सम्यक दृष्टि (ii ) सम्यक संकल्प (iii ) सम्यक वाणी (iv ) सम्यक कर्मान्त (v ) सम्यक आजीव (vi ) सम्यक व्यायाम
(vii ) सम्यक स्मृति और (viii ) सम्यक समाधि
जो भी व्यक्ति इस अष्टांगिक मार्ग को अपनाता है । उनकी भाव तृष्णा नष्ट हो जाती है । एवं निर्माण प्राप्त हो जाता है ।
निष्कर्ष : दोस्तों इस ब्लॉग पोस्ट में हमनें baudh dharm , एंव बौद्ध धर्म से सम्बंधित अन्य प्रकार की जानकारी देने की प्रयास किये है । इसे पढ़ने के बाद किसी भी प्रकार की प्रश्न बनती है । तो बेहिचक कमेंट के माध्यम से संपर्क करे । उसका रिप्लाई हम जल्द से जल्द देने की कोशिस करेंगे ।
अन्य पाठ भी पढ़ें: