d block elements: मेंडलीफ का जो आवर्त सारणी है । उसमें 3 से लेकर 12 तक के एलिमेंट्स को d block elements माना जाता है । इन एलिमेंट्स में अंतिम इलेक्ट्रॉन d ब्लॉक में प्रवेश करता है । इस प्रकार के आवर्त सारणी में s और p ब्लॉक के तत्व के मध्य में हमेशा रखा जाता है । इसी कारण से इन्हें संकरम तत्व भी कहाँ जाता है । कुल संकरम तत्व में (n-1)d उपकोष ख़ाली रहता है ।
संक्रमण तत्वों के गुण:
(i) इसमें सभी प्रकार के तत्व धातु होते है । धातु इसलिए होता है । क्योंकि इसके अंतिम उपकोष में 1 या 2 इलेक्ट्रान होता है ।
(ii) इस तत्व में धातु चालकता, तन्यता, आघातवर्धनीय, तथा यह विधुत के सुचालक होता है ।
(iii) यह तत्व हमेशा मिश्रधातुओं का निर्माण करता है ।
(iv) इस तत्वों के गलनांक एंव क्वथनांक काफी उच्च होता है ।
(v) इस प्रकार के तत्व s एंव p ब्लॉक की अपेक्षा काफी कठोर होता है ।
संक्रमण तत्वों की श्रेणी :
संक्रमण तत्वों को निम्न श्रेणी में बाटा गया है:-
(i) प्रथम संक्रमण ( 3d श्रेणी )
(ii) द्वित्य संक्रमण ( 4d श्रेणी )
(iii) तृतीय संक्रमण ( 5d श्रेणी )
(iv) चतुर्थ संक्रमण ( 6d श्रेणी )
(i) प्रथम संक्रमण ( 3d श्रेणी ):- इस श्रेणी में कुल 10 तत्व आते है । अर्थात स्कैंडियम से ज़िंक तक आता है । इसका अंतिम इलेक्ट्रान 3d उपकोष में प्रवेश करता है ।
(ii) द्वित्य संक्रमण ( 4d श्रेणी ):- इस श्रेणी में कुल 10 तत्व आता है । जैसे की एट्रियम से लेकर कैडमियम तक का सभी तत्व आता है । इसका अंतिम इलेक्ट्रान 4d उपकोष में प्रवेश करता है ।
(iii) तृतीय संक्रमण ( 5d श्रेणी ):- इस श्रेणी में लान्थम से मरकरी तक का कुल 10 तत्व आता है । जिसका अंतिम इलेक्ट्रान 5d उपकोष में प्रवेश करता है ।
(iv) चतुर्थ संक्रमण ( 6d श्रेणी ):- इस श्रेणी में भी 10 तत्व आता है । जो एक्टीनियम से लेकर कोपर्निसियम तक का रहता है । इसका अंतिम इलेक्ट्रान 6d उपकोष में प्रवेश करता है ।
आयनन एन्थैल्पी :- संक्रमण तत्वों का एन्थालपय का मान , p ब्लॉक के अन्थालपय के मान से s ब्लॉक के अन्थालपय का मान से कम होता है ।
d block elements की स्थिति :
d block elements कॉलम 3 से 12 तक में मौजूद रहता है । यह पूरी तरह से भरे डी कक्षा के परमाणु हो सकता है । IUPAC जो एक अंतर्राष्ट्रीय नाम होता है । जिसमें संक्रमण धातु को एक तत्व के रूप में परिभासित करता है । इन तत्वों में डी उपकोष भरा हुआ होता है ।
चुम्बकीय गुण:
कोई भी संक्रमण तत्व अनुचुम्बकीय गुण प्रदर्शित करता है । इसी गुण के कारण इसमें अयुग्मित इलेक्ट्रॉन की संख्या मौजूद रहती है । परन्तु युग्मित इलेक्ट्रॉन की उपस्थित के कारण यह प्रतिचुम्बकीय गुण को दर्शाते है । जब कभी चुम्बकीय आघूर्ण ज्ञात करने की बारी आती है । तो इसके लिए सूत्र आता है ।
चुम्बकीय आघूर्ण,
μ=n(n+2)B.M
जहाँ, n= अयुग्मित इलेक्ट्रॉन की संख्या ।
B.M= बोर मैग्नेट्रॉन
परमाणु या आयनन त्रिज्या :
किसी भी संक्रमण तत्वों की परमाणु त्रिज्या, परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ- साथ सामान्य रूप से घटती है । प्रथम श्रेणी संक्रमण तत्वों में परमाणु त्रिज्या स्केनिडियम से क्रोमियम तक धीरे – धीरे घट जाती है । जबकि क्रोमियम से कॉपर तक स्थिर रहती है ।
रंगीन आयनों का बनाना :
सभी प्रकार के जो भी संक्रमण तत्व रंगीन तत्व होता है । इन तत्वों को रंगीन होने के कारण इसमें अपूर्ण d कक्षों की उपस्थिति रहती है । तथा जो अपूर्ण d कक्ष इलेक्ट्रान निम्न ऊर्जा के d कक्ष में उत्तेजित होकर चले जाते है । इस प्रकार की दिखावटी प्रकाश को अवशोषित करके प्राप्त होते है ।
उत्प्रेरकीय गुण :
यौगिक उत्प्रेरक की तरह संक्रमण धातुएँ की तरह काम करते है । सभी संक्रमण तत्वों का वह गुण जिससे परिवर्तन शील संयोजकता तथा संकुल यौगिक बनाने के कारण होता है ।
D BLOCK एलिमेंट्स तत्वों को संक्रमण तत्व क्यों कहाँ जाता है ?
संक्रमण तत्व 4 से लेकर 11 समूह पर कब्ज़ा कर लेते है । 3 समूह में स्कैंडियम , एट्रियम , यह धातु की अवस्था में d उपकोष का संकर्मित तत्व भी माना जाता है । d block के 12 कॉलम को ज़िंक , कैडमियम , एंव पारा को d ऑर्बिटल को पूरी तरह से भर देता है । इसलिए इसे कभी भी संकर्मित तत्व नहीं माना जाता है ।
निष्कर्ष : दोस्तों इस ब्लॉग पोस्ट में हमने D block, d block elements , संक्रमण तत्वों का गुण, संक्रमण तत्वों की श्रेणी, d block elements की स्थिति, चुम्बकीय गुण, परमाणु एंव आयनन त्रिज्या , रंगीन आयनों का बनाना,
उत्प्रेरकीय गुण , d block elements को संक्रमित तत्व क्यों कहाँ जाता है । इत्यादि के बारे में बताने की कोशिस किये है । यदि इस पोस्ट को पढ़ने पर किसी भी प्रकार की क्वेश्चन बनती है । निसंकोच हमसे कमेंट के माध्यम से संपर्क करे । उसका रिप्लाई हम बहुत ही कम समय में देने की कोशिस करेंगे ।
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