electric current: magnetic effect of electric current

electric current:  आवेश की प्रवाह की दर को विधुत धारा कहाँ जाता है । जब किसी चालक तार द्वारा आवेश का प्रवाह होता है । उसके बाद ही कोई भी काम बिजली पर हो पाता  है । जब तक किसी चालक तार से आवेश का परवाह नहीं होता है । तब तक हम बिजली का कोई भी काम नहीं कर सकते है ।

किसी भी परिपथ  में विधुत धारा मापने के लिए एमीटर का प्रयोग किया जाता है । विधुत धारा की मात्रक की बात की जाये तो विधुत धारा का मात्रक एम्पियर होता है । एंव si unit of electric current यदि विधुत धारा का S.I मात्रक की बात की जाये तो विधुत धारा का  S.I मात्रक ओम होता है ।

विधुत धारा का प्रकार :   

विधुत धारा दो प्रकार के होते है:-

(i) प्रत्यावर्ती धारा

(ii) दिष्ट धारा

(i) प्रत्यावर्ती धारा:- वैसा विधुत धारा जिसका परिमाण एंव दिशा दोनों समय के साथ बदलते है, वह प्रत्यावर्ती धारा कहाँ जाता है । इसकी उदाहरण की चर्चा की जाये तो घरो में प्रयुक्त होने वाली विधुत धारा को प्रत्यावर्ती धारा के अंतर्गत रखा जाता है ।

(ii) दिष्ट धारा :- वैसा विधुत धारा जिसका परिमाण एंव दिशा समय के साथ नहीं बदलते है, अर्थात स्थिर रहते है । वह दिष्ट धारा के अंतर्गत आता है ।

जब विधुत धारा का परिमाण स्थिर रहे एंव दिशा बदले वह परिवर्ती  दिष्ट धारा के अंतर्गत आता है । इसका उदाहरण के रूप में कहाँ जाये तो, इसका उदाहरण सेल एंव बैटरियों से प्राप्त विधुत धारा को परिवर्ती दिष्ट धारा के अंतर्गत रखा जाता है ।

जब कोई व्यक्ति अपने घर में इन्वर्टर लगाते है । वह इन्वर्टर प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में तथा दिष्ट धारा को प्रत्यावर्ती धारा में बदलने का काम करता है ।

विधुत धारा का प्रभाव 

जब हम किसी चालक तार को विधुत ऊर्जा देते है । तो उसमे ऊर्जा का कुछ भाग, ऊष्मा में बदल जाता है । और वह चालक तार गर्म हो जाता है । जिसे विधुत धारा का तापीय प्रभाव कहाँ जाता है । इसे उपयोग हीटर, बल्ब प्रेस, केतली इत्यादि में किया जाता है ।

फ्लेमिंग का बाम हस्त नियम :

जब किसी भी चुम्बकीय क्षेत्र में, धारावाही चालक पर लगनेवाली बल की दिशा फ्लेमिंग के बाम हस्त नियम के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है ।

नियम : फ्लेमिंग के बायें हस्त नियम के अनुसार, जब बायें हाथ के तीन अँगुलिया मध्यमा, तर्जनी तथा अंगूठा को इस प्रकार लम्बवत फैलाया जाता है । जिससे की तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को, मध्यमा धारा की दिशा को तथा अंगुष्ठा धारावाही चालक तार पर लगे बल की दिशा को व्यक्त करता हो । इस प्रकार के नियम को फ्लेमिंग का बाम हस्त नियम कहते है ।

विधुत धारा का चुम्बकीय प्रभाव : 

magnetic effect of electric current, जब  किसी चालक तार से विधुत धारा प्रवाहित किया जाता है । उसके चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है । जिस क्षेत्र को विधुत धारा का चुम्बकीय प्रभाव के अंतर्गत रखा जाता है ।

चुम्बकीय क्षेत्र के दिशा नियम की जानकारी : 

चुम्बकीय  क्षेत्र के दिशा नियम निम्न है । जिसकी जानकारी निचे दिए  है:-

(i) दाई हाथ के अंगूठे का नियम/ दक्षिणी हस्त नियम 

यदि किसी चालक तार को इस प्रकार पकड़े की अंगूठा धारा की दिशा में, एंव मुरी हुई उँगलियाँ चुम्बकीय बल रेखाओं की दिशा को बतलाती हो  ।   

(ii) दक्षिणी पेच नियम / मैक्सवेल स्क्रू नियम

इस  नियम में मैक्सवेल नामक वैज्ञानिक ने यह बताया की किसी पेच को इस प्रकार घुमाया जाता है, की पेच की नोक विधुत धारा की दिशा में,  और जब आगे बढ़ता है । तो पेच घुमाने की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र को व्यक्त करती है ।

चुम्बकीय क्षेत्र का मात्रक टेस्ला होता है ।

electric current:विधुत मोटर

किसी भी विधुत मोटर में एक शक्तिशाली चुम्बक होता है । इसमें अवतल ध्रुव खंडो के बीच ताँबे की एक कुंडली होती है । जिसको मोटर का आर्मेचर कहते है । इसका दोनों छोर पीतल के दोनों खंडित वलयों R1 तथा R2 से जुड़े होते है । इसके साथ- साथ बल्यो के कार्बन ब्रश B1 तथा B2 को हलके स्पर्श करते है ।

विधुत मोटर एक ऐसा यन्त्र होता है । जिसके द्वारा विधुत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बहुत ही आसानी से बदला जाता है । वह विधुत मोटर कहलाता है ।

जब विधुत मोटर की आर्मेचर की धुरी पर यदि ब्लेड लगा दिए जाता है ।  तो यह मोटर विधुत पंखा बन जाता है । जब धुरी में पट्टी लगाकर मोटर द्वारा मशीन को चलाया जाता है । तो वह लेथ मशीन बन जाता है । यदि टेपरिकार्डर की बात की जाये तो तो टेपरिकॉर्डर भी विधुत मोटर का उपयोग करता है ।

विधुत चुम्बकीय प्रेरण :

जब हम किसी कुंडली या चुम्बक के बिच गति कराते है । इसके कारण कुंडली में विधुत धारा उत्पन्न होने लगती है । जिसे विधुत चुम्बकीय प्रेरण के अंतर्गत रखा जाता है ।

विधुत चुम्बकीय प्रेरण के कारण ही उत्पन्न विधुत वाहक बल, प्रेरित विधुत वाहक बल एंव  उत्पन्न धारा प्रेरित विधुत धारा के अंतर्गत आता है ।

विधुत चुम्बकीय प्रेरण सम्बंधित फैराडे ने जो नियम दिए है । वह नियम निम्न है :-

फैराडे का प्रथम नियम :-   जब किसी कुण्डली और चुम्बक के सापेक्ष गति करवाई जाती है । तो कुंडली से गुजरने  वाली  चुम्बकीय बल रेखाएँ  की  संख्या  बदलती  रहती  है । जिसके  कारण प्रेरित विधुत धारा उत्पन्न होती  है ।

फैराडे का दूसरा नियम :-    किसी  कुंडली में उत्पन्न  प्रेरित विधुत वाहक बल फ्लक्स में परिवर्तन की दर का समानुपाती होता है । जब कुंडली और चुम्बक के मध्य सापेक्ष गति कम या तेज कर देने पर चुम्बकीय बल रेखाएँ की संख्या में भी परिवर्तन धीमी या तेज गति से होने लगता है ।

प्रेरित विधुत वाहक बल की दिशा कैसे ज्ञात करे ?    

प्रेरित विधुत बल की दिशा लेन्ज के नियम द्वारा ज्ञात किया जा सकता है :-

नियम: विधुत चुंबकीय प्रेरण की सभी प्रकार के अवस्था में प्रेरित विधुत वाहक बल और प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार से हो जाती है । जिस कारण इनकी उत्पन्न हुई है । उनका विरोध करती है । यह नियम ऊर्जा संरक्षण पर भी आधारित है ।

निष्कर्ष : दोस्तों इस ब्लॉग में electric current, magnetic effect of electric current, electric current definition ,magnetic effect of electric current class 10 , si unit of electric current ,chemical effects of electric current class 8 ,current electricity class 12 ,electric current formula , what is magnetic effect of electric current ,what is the si unit of electric current , विधुत धारा, इत्यादि के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी देने की कोशिस किये है ।

यदि इस जानकारी को प्राप्त करने के बाद किसी भी प्रकार की क्वेश्चन बनती है । उसी समय हमसे संपर्क करके क्वेश्चन पूछे उसका रिप्लाई हम जल्द से जल्द देने की कोशिस करेंगे ।

अन्य पाठ भी पढ़े :