laws of refraction of light:प्रकाश के अपवर्तन के नियम

laws of refraction of light

प्रकाश: यह एक प्रकार की ऊर्जा होती है । इस ऊर्जा के द्वारा किसी भी प्रकार की वस्तु को बहुत ही आसानी पूर्वक देख सकते है ।  प्रकाश  के आभाव में हमलोग किसी भी वस्तु को नहीं देख सकते है ।

किरण : प्रकाश की वैसी भाग जो सीधी रेखा में गमन करती है । वह किरण कहलाती है । किरण कभी भी टेढ़े पथ पर नहीं चलता है ।

प्रकाश पुंज : जिस प्रकार बहुत सारे इत्तो को जोड़कर एक घर का निर्माण किया जा सकता है । उसी प्रकार बहुत सारे किरणों के संग्रह या समूह को प्रकाश पुंज कहाँ जाता है । प्रकाश पुंज में किसी भी प्रकाश स्त्रोत का प्रकाश की किरण क्यों न हो ।

laws of refraction of light:

प्रकाश स्त्रोत :  जिस स्त्रोत से प्रकाश निकलता है । वह प्रकाश स्त्रोत कहलाता है । अर्थात जहाँ से प्रकाश की उत्त्पति होती है । वह भी प्रकाश स्त्रोत के अंतर्गत आता है । प्रकाश स्त्रोत दो प्रकार के होते है :-

(i) प्राकृतिक प्रकाश स्त्रोत

(ii) मानव निर्मित प्रकाश स्त्रोत

(i) प्राकृतिक प्रकाश स्त्रोत :  वैसा  प्रकाश स्त्रोत जो प्रकृति द्वारा बनाया  गया है । वह प्राकृतिक प्रकाश स्त्रोत के अंतर्गत आता है । इसके  उदाहरण के तौर  पर  सूर्य, तारा  , चन्द्रमा  इत्यादि  प्राकृतिक  प्रकाश स्त्रोत के अंतर्गत आता है । 

(ii) मानव निर्मित प्रकाश स्त्रोत : जो प्रकाश स्त्रोत मानव के द्वारा बनाया गया हो । वह मानव निर्मित प्रकाश स्त्रोत के अंतर्गत आता है। इसके उदाहरण की बात  की जाये तो इसका उदाहरण टॉर्च,  बिजली  का बल्ब, लालटेन, दिया, मोमबत्ती इत्यादि मानव निर्मित प्रकाश स्त्रोत के अंतर्गत आता है ।

प्रकाश के अपवर्तन:

जब कोई प्रकाश किरण किसी एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है, तो पहले माध्यम की अपेक्षा दूसरे माध्यम में उसका पथ थोड़ा विचलित हो जाती है । जिसे प्रकाश का अपवर्तन कहाँ जाता है ।

जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती  है । तो प्रकाश की चलने की पथ दो तरह से विचलित होती है । उसकी जानकारी मैं निचे बताने जा रहा हूँ ।

(i) जब प्रकाश की किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम की ओर  अपवर्तित होती है । अपवर्तन के बाद प्रकाश किरण अभिलम्ब की ओर मुड़ जाती है । चाहे किसी भी प्रकार की माध्यम क्यों न हो ।

(ii) जब किसी प्रकाश स्त्रोत से आती प्रकाश की किरणें, किसी सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है । उसके बाद प्रकाश किरण के अपवर्तन के बाद, अभिलम्ब से दूर भाग जाती है ।

प्रकाश के अपवर्तन का नियम :

प्रकाश के अपवर्तन के दो नियम होते है, जिस नियमों की व्याख्या निचे देने जा रहे है :-

(i) प्रकाश के अपवर्तन में, आपतित किरण , अभिलम्ब और अपरिवर्तित किरण तीनो एक ही तल या समतल में होते है 

(ii) प्रकाश के अपवर्तन में आपतन कोण की जया(sini)  एंव अपर्वतन कोण की जया  (sinr) का अनुपात एक नियतांक(constant)   होता है । जिस नियतांक वाले भाग में माध्यम एक के सापेक्ष माध्यम दो का अपवर्तनांक

μ21 कहते है । इसे दूसरे शब्दों में यह भी कहाँ जा सकता है ।

μ21=1μ2=sini/sinr

जहाँ,

μ21=μ2/μ1

laws of refraction of light

प्रकाश की अपवर्तनांक : 

  प्रकाश की अपवर्तनांक  में अपरिवर्तित किरण की आवृति अपरिवर्तित रहती है । अपरिवर्तित किरण की तीरवता, तरंगधैर्य एंव चाल  परिवर्तित होती है ।

माध्यम का अपवर्तनांक :

निर्वात में प्रकाश का वेग तथा माध्यम में प्रकाश के वेग के अनुपात को माध्यम का अपवर्तनांक कहाँ जाता है ।  इसे दूसरे शब्दों में यह भी कहाँ जा सकता है ।

माध्यम का अपवर्तनांक

μ=c/v

जब प्रकाश विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करती है । तथा सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है । उसकी व्याख्या निचे दिए है :-

(i) जब प्रकाश विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करती है । तो

μ2>μ1

होगा ।

अर्थात

μ21>1sini/sinr>1sini>sinri>r

(ii) जब प्रकाश सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है, तो

μ2<μ1 μ2/μ1<1μ21<1sini/sinr<1sini<sinri<r

प्रकाश के अपवर्तन के कारण कुछ मुख्य घटनाएँ :

प्रकाश के अपवर्तन के कारण घटने वाली घटनाएँ निम्न है :-

(i) तारों का टिमटिमाना : रात्रि के समय तारों से आने वाली किरणें विभिन्न परतों से गुजरती हुई । इस परत तक आती है । जिसमें विभिन्न परतों की घनत्व अलग- अलग होती है । जिसके कारण तारों की किरणें की अपवर्तन होती है । इसलिए तारों टिमटिमाते  हुए नजर आते है ।

(ii) किसी भी पात्र में जब हम पानी भर देते है । उसमे एक सिक्का डुबो देते है । उस सिक्का को ऊपर उठा हुआ दिखाई देना : 

जब किसी प्रकार की पात्र में पानी भर देते है । उसमें एक सिक्का डाल देते है । वह सिक्का उठा हुआ दिखाई देता है । क्योंकि जब प्रकाश की किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करता है । प्रकाश के अपवर्तन के करण अभिलम्ब से दूर दिखाई देता है । इसी के कारण सिक्का उठा हुआ दिखाई देता है ।

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(iii) द्र्वो में डूबी छड़ी को टेढ़ी दिखाई देना : जब किसी भी प्रकार की छर को द्रव में डुबो देते है । उस छड़ के सिरों से आने वाली प्रकाश की किरणों सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है । तो अपवर्तन के कारण, अभिलम्ब से दूर दिखाई देती है । जिसके कारण से छड़ टेढ़ी दिखाई देती है ।    

(iv) आभासी सूर्योदय या सूर्यास्त दिखाई देना : सुबह तथा शाम के समय सूर्य के पास वायु का घनत्व कम होता है । परन्तु पृथ्वी पर वायु का घनत्व अधिक होता है । जब सूर्य से आने वाली प्रकाश की किरण, विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करती है ।

प्रकाश  के अपवर्तन के कारण वास्तविक सूर्योदय के स्थान पर 2 मिनट पहले आभासी सूर्योदय होता हुआ दिखाई देता है । एंव सूर्यास्त के समय भी वास्तविक सूर्यास्त  के समय से दो मिनट बाद सूर्यास्त होता दिखाई देता है । इसी कारण से  प्रत्येक दिन 4 मिनट आभासी सूर्योदय तथा सूर्यास्त होता है । 

निष्कर्ष : दोस्तों इस पोस्ट में हमनें laws of refraction of light, प्रकाश के अपवर्तन के बारे  में सम्पूर्ण जानकारी देने की प्रयास किया हूँ । यदि इसमें किसी भी प्रकार की क्वेश्चन बनती है, तो  बेहिचक  हमसे कमेंट  के माध्यम से संपर्क करे । उसका जबाब हम जल्द से जल्द देने की कोशिस करेंगे ।

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