manav netra: यह हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है । इसके बिना संसार अँधेरा सा लगता है । यदि मानव नेत्र के बारे में कहाँ जाये तो मानव नेत्र एक अत्यंत मूल्यवान ज्ञानेन्द्रिय है । जिस तरह कैमरा काम करता है । उसी प्रकार मानव नेत्र भी काम करता है । मानव नेत्र ही इस अद्भुत संसार को देख सकता है । जैसे की इस संसार में काफी मात्रा में रंग बिरंगे चीज है ।
सभी प्रकार के रंग बिरंगे चीज को मानव, अपने नेत्र के द्वारा ही देख पाते है । manav netra में एक क्रिस्टलीय लेंस भी लगा होता है । मानव नेत्र में प्रकाश एक पतली झिल्ली से होकर प्रवेश करता है । जिस झिल्ली के द्वारा नेत्र में प्रकाश प्रवेश करता है । उसे कॉर्निया कहाँ जाता है । इसके साथ- साथ कॉर्निया के पीछे एक संरचना होती है । जिसे परितारिका कहाँ जाता है ।
मानव नेत्र के विभिन्न भाग का वर्णन :
(i) कॉर्निया :- नेत्र में काला दिखने वाले गोलीय भाग को कॉर्निया कहाँ जाता है । कॉर्निया का स्थान नेत्र के डाइफार्म के ऊपर होता है । जो एक पतली झिल्ली के रूप में अवस्थित रहता है । इसी के द्वारा नेत्र में प्रकाश प्रवेश करता है ।
(ii) परितारिका :- यह कॉर्निया के पीछे भाग में स्थित होता है । इसका आकार गहरा वलयाकार पेशीय डाइफार्म होता है । यह हमेशा पुतली के आकार को नियंत्रित करता है ।
(iii) पुतली :- यह परितारिका के केंद्र के छिद्र में अवस्थित रहता है । इसका कार्य होता है । नेत्र में जानेवाली प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करता है ।
(iv) कचाभ द्रव :- यह एक जैसी पदार्थ की बनी होती है । जो नेत्र गोलक में पूर्ण रूप से भरा रहता है । इसी कारण से नेत्र गोलक के ज्यादा से ज्यादा भाग में कचाभ द्रव भरता है । इसका मुख्य कार्य है । मानव नेत्र गोलक को आकार प्रदान करना । जब रेटिना तक प्रकाश पहुँचता है । तो लेंस होते हुए इसी द्रव से पहुँचता है ।
(v) रेटिना :- रेटिना को दृष्टि पटल भी कहाँ जाता है । नेत्र गोलक के पश्च भाग में जो परदे का काम करता है । वह रेटिना ही कहलाता है ।
रेटिना पर बनने वाले प्रतिबिम्ब की प्रकृति उल्टा एंव वास्तविक होता है ।
समंजन क्षमता की जानकारी :
manav netra का वैसा क्षमता जिसके द्वारा नेत्र अपनी फोकस दुरी को समायोजित कर लेता है । वह क्षमता समंजन क्षमता कहलाता है ।
इस प्रकार के नेत्र में वक्रता में परिवर्तन होने पर, फोकस दुरी में भी परिवर्तन हो जाता है । जब नेत्र की वक्रता बढ़ जाती है । तो उसका फोकस दुरी घट जाती है । और जब नेत्र की वक्रता घटती है । उसका फोकस दुरी बढ़ जाती है ।
मानव नेत्र की देखने की सिमा :
किसी भी वस्तु को स्पष्ट देखने के लिए न्यूनतम दुरी 25cm है । एंव अधिकतम देखने के लिए कोई दुरी निश्चित नहीं है ।
स्पस्ट देखने के लिए निकट बिंदु : यदि कोई वस्तु को न्यूनतम दुरी पर रख दिया जाता है । और उस हिसाब से रखा जाता है । तांकि उस वस्तु को बिना किसी नेत्र के तनाव से देखा जा सके । तो जिस स्थान पर वस्तु रखी हुई रहती है । उस बिंदु को निकट बिंदु कहाँ जाता है ।
दूर बिंदु : जब वस्तु को दूर में जाकर रख दिया जाता है । उसके बाद उस वस्तु को देखने पर आँख में किसी भी प्रकार की तनाव उत्पन्न न हो । उस स्थान वाले बिंदु को दूर बिंदु कहाँ जाता है । दूर बिंदु अनन्त तक हो सकता है ।
मोतियबिंद की जानकारी :
जब किसी- किसी व्यक्ति को अधिक उम्र हो जाता है । उस व्यक्ति के क्रिस्टलीय लेंस पर एक परत चढ़ जाता है । जिसके कारण उसका लेंस धुंधला दिखाई देने लगता है । इसी कारण को मोतियाबिंद कहाँ जाता है । इस प्रकार के बीमारी को दूर करने के लिए सिर्फ एक दवा है । शल्य चिकित्सा का सहारा लेना।
मानव नेत्र का दृष्टि दोष :
जब नेत्र धीरे- धीरे अपना समंजन क्षमता खो देता है । जिसके कारण मानव, अपने नेत्र से देखने में बहुत ही प्रकार की समस्या का समाधान करना पड़ता है । इसी कारण को manav netra का दृष्टि दोष कहाँ जाता है ।
मानव नेत्र में आँसू का कार्य:
मानव नेत्र में आँसू का कार्य निम्नलिखित है:-
(i) आँखो में आँसू, आँखो को चिकना तथा नम रखने का कार्य करता है ।
(ii) आँसू ,आँखो के बाहरी वस्तुओं को धोकर साफ कर देते है ।
(iii) आँखों में विद्यमान आँसू जीवाणुनाशक एन्जाइम, तथा लाइसोजाइम से जीवाणु को नष्ट कर देते है ।
(iii) आँखों में कॉर्निया तथा लेंस को जल एंव पोषण की आपूर्ति करता है ।
मानव नेत्र के आइरिस तथा पुतली का काम :
मानव नेत्र में आइरिस तथा पुतली का काम निम्न है :-
आइरिस का मुख्य काम यह है, की पुतली को अनुकूलित करता है । जब आँख में प्रकाश कम मात्रा में प्रवेश करती है । तो पुतली का फैलाव अधिक होता है । तथा जब आँख में प्रकाश अधिक मात्रा में प्रवेश करती है । तो पुतली का फैलाव कम अथवा पुतली सिकुड़ जाती है । कभी भी पुतली के आकार को अनुकूलित होने कुछ समय लगता है ।
इसी कारण से जब हम किसी अँधेरे कमरे से बाहर सूर्य की रोशनी में जाते है । तो हम अपनी आँखों के द्वारा चमक महसूस करते है । जब हम काफी तेज धुप में से अँधेरे में जाते है । तो कुछ देर बाद वस्तु स्पस्ट दिखाई देता है ।
निष्कर्ष : दोस्तों इस ब्लॉग पोस्ट में हमने manav netra , मानव नेत्र के विभिन्न भाग , समंजन क्षमता, मानव नेत्र को देखने की सीमा इत्यादि के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी देने की प्रयास किये है । यदि इसमें किसी भी प्रकार की क्वेश्चन बनती है । तो अर्जेन्ट हमसे संपर्क करने की कोशिस करे ।
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