rasayanik samikaran: जब दो या दो से अधिक तत्व आपस में रासायनिक अभिक्रिया करता है । तो उसके बाद उसे रासायनिक समीकरण के द्वारा ही लिखा जाता है । रासायनिक समीकरण के तत्वों में हमेशा प्रतीक चिन्हो का प्रयोग किया जाता है ।
रासायनिक समीकरण में ऊपर या निचे तीर चिन्ह का प्रयोग: rasayanik samikaran में दाब, ताप, एंव उत्प्रेरक को तीर चिन्ह के द्वारा ऊपर या निचे के तीर चिन्ह द्वारा दर्शाया जाता है ।
रासायनिक समीकरण के प्रकार :
रासायनिक समीकरण दो प्रकार के होते है :-
(i) संतुलित रासायनिक समीकरण
(ii) असंतुलित रासायनिक समीकरण
(i) संतुलित रासायनिक समीकरण :- जब किसी भी रासायनिक समीकरण में अभिकारक तथा प्रतिफल के परमाणुओं की संख्या तथा परमाणु भार एक सामान हो इस प्रकार के रासायनिक समीकरण को संतुलित रासायनिक समीकरण कहाँ जाता है ।
(ii) असंतुलित रासायनिक समीकरण :- जब किसी भी रासायनिक समीकरण में अभिकारक तथा प्रतिफल के परमाणुओं की संख्या तथा परमाणु भार सामान नहीं हो इस प्रकार के रासायनिक समीकरण को असंतुलित रासायनिक समीकरण कहाँ जाता है ।
रासायनिक समीकरण लिखने का तरीका :
रासायनिक समीकरण लिखने का तरीका निम्नलिखित है :-
(i) रासायनिक समीकरण में सबसे पहले अभिकारकों को लिखा जाता है । उसके आगे तीर का निशान दिया जाता है । तीर का निशान देने के बाद प्रतिफल को लिखा जाता है ।
(ii) क्रियाकारक और उत्पाद संख्या में जब एक से अधिक तत्व या यौगिक हो जाता है । उसके पीछे + का चिन्ह दिया जाता है ।
(iii) द्रवमान संरक्षण के सिद्धांत के अनुसार , द्रव्यमान को न तो उत्पन्न किया जा सकता है । और न ही विनाश किया जा सकता है ।
(iv) रासायनिक समीकरण को संतुलित करने के लिए दोनों ओर के अणुओ को घटाया या बढ़ाया जाता है । जिस विधि द्वारा रासायनिक समीकरण को घटाया या बढ़ाया जाता है । उस विधि को अनुमान तथा हिट ट्रायल विधि कहाँ जाता है ।
(v) रासायनिक समीकरण को संतुलित करने के लिए सबसे पहले अणुओ के ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन को छोड़कर दूसरे परमाणुओं को संतुलित करते है ।
(vi) अभिकारक तथा प्रतिफल जन जलीय विलियन के रूप में होता है । उसे एकुस कहाँ जाता है ।
(vi) जब रासायनिक समीकरण हो जाता है । उसके बाद उसमे दाब तथा ताप को बताने के लिए तीर चिन्ह का प्रयोग करते है ।
रासायनिक समीकरण की महत्व तथा विशेस्ताये:
रासायनिक समीकरण की निम्लिखित विशेस्ताये है :-
(i) प्रतिफल तथा क्रियाकरक की सम्पूर्ण जानकारी अर्थात अणुओ की संख्या तथा द्रवमान इत्यादि सभी कुछ मिलती जुलती है ।
(ii) किसी भी प्रकार के पदार्थो की भौतिक अवस्था की जानकारी प्राप्त होती है ।
(iii) रासायनिक अभिक्रिया के लिए आवश्यक परिस्थितिया जैसे ताप, दाब तथा उत्प्रेरक इत्यादि की जानकारी मिलती रहती है ।
(iv) रासायनिक समीकरण से ऊष्माशोसी तथा ऊष्माक्षेपि अभिक्रिया की जानकारी मिलती रहती है ।
(v) समीकरण में उत्कर्मिनीयता की जानकारी मिलती रहती है ।
जो भी रासायनिक समीकरण होती है । उसके बाई तरफ रासायनिक अभिक्रिया होती है तथा दाई तरफ उसका प्रतिफल प्राप्त होता होता है । जिसमे रासायनिक अभिक्रिया के बारे में जानकारी निचे देने की कोशिस किये है।
रासायनिक अभिक्रिया के प्रकार :
rasayanik samikaran निम्नलिखित प्रकार के होते है :-
(i) संयोजन अभिक्रिया
(ii) ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया
(iii) वियोजन अभिक्रिया
(iv) ऊष्माशोसी अभिक्रिया
(v) विस्थापन अभिक्रिया
(vi) द्विविस्थापन अभिक्रिया
(i) संयोजन अभिक्रिया:- वैसा अभिक्रिया जिसमे दो या दो से अधिक अभिकारक मिलकर एक प्रतिफल का निर्माण करता है । वह संयोजन अभिक्रिया के अंतर्गत आता है ।
(ii) ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया :- वैसा अभिक्रिया जिसमे उत्पाद के निर्माण के साथ- साथ ऊष्मा भी उत्पन्न करती है । उसे उष्माक्षेपी अभिक्रिया कहते है ।
(iii) वियोजन अभिक्रिया :- वैसा रासायनिक अभिक्रिया जिसमे एकल अभिकारक टूटकर दो या दो से अधिक प्रतिफल का निर्माण करता है । वह वियोजन अभिक्रिया के अंतर्गत आता है ।
(iv) ऊष्माशोसी अभिक्रिया :- वैसा अभिक्रिया जिसमे अभिकारक को तोरने के लिए तथा अभिक्रिया कराने के लिए प्रकाश तथा ऊष्मा की आवश्कता होती है । जिस अभिक्रिया को ऊष्माशोसी अभिक्रिया कहाँ जाता है ।
(v) विस्थापन अभिक्रिया :- वैसा अभिक्रिया जिसमे अधिक क्रियाशील वाला तथा कम क्रियाशील वाला तत्व, यौगिक द्वारा विस्थापित होता है । इस प्रकार के अभिक्रिया को विस्थापन अभिक्रिया कहाँ जाता है ।
(vi) द्विविस्थापन अभिक्रिया :- वैसा अभिक्रिया जिसमे उत्पादों का निर्माण, दो प्रकार के यौगिकों के बीच जो आदान प्रदान होता है । उनके द्वारा होता है ।
वियोजन अभिक्रिया का प्रकार :
वियोजन अभिक्रिया निम्नलिखित प्रकार के होते है ;-
(i) उष्मीय वियोजन
(ii) वैधुत वियोजन
(iii) प्रकाशीय वियोजन
(i) उष्मीय वियोजन :- वैसा वियोजन जो उष्मा के द्वारा किया जाता है । इस प्रकार के वियोजन को उष्मीय वियोजन कहाँ जाता है ।
(ii) वैधुत वियोजन :- वैसा वियोजन जो विधुत धारा प्रवाहित करने पर होती है । इस प्रकार के वियोजन अभिक्रिया को वैधुत वियोजन अभिक्रिया कहाँ जाता है ।
(iii) प्रकाशीय वियोजन :- वैसा वियोजन अभिक्रिया जो सूर्य की रोशनी में किया जाता है । इस प्रकार के वियोजन अभिक्रिया को प्रकाशीय वियोजन अभिक्रिया कहाँ जाता है ।
निष्कर्ष :- दोस्तों इस ब्लॉग पोस्ट में हमने rasayanik samikaran,रासायनिक समीकरण, रासायनिक समीकरण का प्रकार , समीकरण में तीर चिन्ह का प्रयोग, रासायनिक समीकरण लिखने का तरीका , रासायनिक समीकरण की विशेसताये, रासायनिक अभिक्रिया के प्रकार तथा वियोजन अभिक्रिया के प्रकार इत्यादि के बारे में बताने की कोशिस किये है ।
अन्य पाठ भी पढ़े:
यदि इसमें किसी भी प्रकार की क्वेश्चन बनती है । तो बेहिचक हमसे कमेंट के माध्यम से संपर्क करे । उसका रिप्लाई हम जल्द से जल्द देने की कोशिस करेंगे । यदि इससे सम्बंधित अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते है । तो निचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते है । अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए लिंक, click here
2 thoughts on “rasayanik samikaran : रासायनिक समीकरण तथा इसके प्रकार”