sthal mandal : यदि sthal mandal kya hai में जानना चाहते है । तो इसके बारे में पूरा जानकारी बताने की प्रयास कर रहे है । पृथ्वी की सम्पूर्ण बाहरी परत , जिस पर महाद्वीप एवं महासागर है । वह स्थलमंडल कहलाती है । इसलिए यदि कही से भी स्थल मंडल क्या है या स्थल मंडल किसे कहते हैं इस प्रकार Question यदि कहीं से आती है , तो इसका जवाब यदि दे सकते है । पृथ्वी का वैसा जगह जहाँ महासागर एवं महाद्वीप स्थित है । वह भाग स्थल मंडल कहलाती यही । पृथ्वी के स्थल भाग 29 % तथा जल वाला भाग 71 % है ।
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पृथ्वी पर जल का साम्राज्य :
हमारे पृथ्वी के उत्तरी गोलद्ध का 61 % एवं पृथ्वी के दक्षिणी गोलद्ध के 81 % क्षेत्रफल जल का साम्राज्य है । यह स्पष्ट है , की हमारे पृथ्वी ज्यादा से ज्यादा जल है ।
पृथ्वी की उंचाई :
हमारे पृथ्वी पर अधिकतम उंचाई माउण्ट एवरेस्ट है । जिसकी उंचाई 8850 मीटर तथा अधिकतम गहराई मेरियाना गत्त है । जिसकी ऊंचाई 11022 मीटर है । हमारे पृथ्वी की अधिकतम उंचाई और अधिकतम गहराई में अंतर लगभग 20 है । इसके साथ – साथ स्थलमंडल महाद्विपीय क्षेत्रो में अधिक मोटी 40 किलोमीटर और जल वाले महासागरीय क्षेत्रो में पत्तली ( 20 -12 ) किलोमीटर है ।
पृथ्वी का चट्टान : पृथ्वी का वैसा भाग जो काफी कठोर होता है । वह चट्टान कहलाता है । चट्टान जो है , उत्पत्ति के आधार पर यह तीन प्रकार की होती है ।
(i ) आग्नेय चट्टान (ii ) अवसादी चट्टान (iii ) कायान्तरित चट्टान
(i ) आग्नेय चट्टान : वैसा चट्टान जो मैग्मा या लावा को जमने पर बनती है । वह आग्नेय चट्टान कहलाता है । इस चट्टान कुछ उदाहरण ग्रेनाइट , बेसाल्ट पेग्माटाइट , डयोराईट इत्यादि आग्नेय चट्टान का उदहारण है । यह चट्टान कठोर संघनन एवं जीवाश्म रहित होती है । यह भी कहाँ जा सकता है । की यह चट्टान बहुत ही सम्पन्न चट्टान है । इस चट्टान में लोहा , निकिल तांबा , सीसा , सोना एवं प्लेटिनम काफी मात्रा में पाया जाता है ।
पैग्माटाईट :- इसमें अभ्रक प्रचुर मात्रा में मिलता है । यह कोडरमा में पाया जाने अभ्रक इन्ही में मिलता है । कोडरमा झारखण्ड राज्य का जिला है ।
आग्नेय चट्टानी पिण्ड : जब मैग्मा ठण्डा होकर , ठोस रूप धारण कर लेता है । और उनसे विभिन्न प्रकार का आग्नेय चट्टानी पिण्ड बनता है इसका नाम इनके आकार , रूप ; स्थिति एवं आस पास में पायी जाने वाली चट्टानों के आधार पर किया जाता है । ज्यादा से ज्यादा चटटानी पिण्ड अंतवर्द्धि आग्नेय चट्टानों से बनते है ।
sthal mandal:बैथोलिथ से क्या समझते है ?
यह भी एक आग्नेय चट्टानी पिंड है । जो सबसे बड़ा आग्नेय चट्टान है । यह अंतवर्द्धि चटटनो से बनता है । इसे पातालीय पिण्ड भी कहाँ जाता है । यह पिण्ड बड़े गुम्बद के आकार का होता है । इस चट्टान का ऊपरी तल विषम होता है । यह ग्रेनाईट का बना होता है । यह चट्टानी पिण्ड संयुक्त राज्य अमेरिका में इदाहो बैथोलिथ के नाम से जाना जाता है । इसकी विस्तृत भाग 40 हजार वर्गमीटर से भी अधिक है । कनाडा देश का कोस्ट रेंज बैथोलिथ इससे भी बड़ा है ।
स्टॉक :- बैथोलिथ में छोटे आकार के बैथोलिथ को स्टॉक कहाँ जाता है । इसका जो ऊपरी भाग है , वह गोलाकार गुंबदनुमा आकार का होता है । स्टॉक का विस्तार 100 वर्ग मीटर से भी कम है ।
लाइकोलिथ : जब कभी मैग्मा की परत को जोर से ऊपर की ओर उठाता है , तो यह गुंबदकार रूप में जम जाता है । जिसे लाइकोलिथ कहते है । मैग्मा को तेजी से ऊपर उठने के कारण छत्तरी आकार का दिखाई देता है ।
अवसादी चट्टान से क्या समझते है ?
जब कभी प्रकृति के कारको द्वारा निर्मित छोटी चट्टानों किसी भी स्थान पर जमा हो जाती है । और बाद में कुछ समय बाद दबाव या रासायनिक प्रतिक्रिया या अन्य प्रकार के कारणों से जैसे – जैसे परत ठोस रूप में निर्मित हो जाती है । इसी को अवसादी चट्टान कहते है । अवसादी चट्टान का कुछ उदाहरण है । जैसे बलुआ पत्थर , चूना पत्थर , स्लेट , कांग्लोमरेत नमक की चट्टान तथा शेलखड़ी इत्यादि अवसादी चट्टान का ही उदाहरण है ।
अवसादी चट्टान का स्वभाव :
यह चट्टान परतदार होती है । इसी चट्टानों में पेड़ – पौधों एवं जिव – जन्तुओ का जीवाश्म पाया जाता है । इन चट्टानों लौह अयस्क , फास्फेट एवं कोयला एवं सीमेंट तैयार किया जाता है । जो खनिज तेल का हमलोग प्रयोग करते , वह इसी चट्टान में पाया जाता है । इसके साथ दामोदर , महानदी तथा गोदावरी नदी की अवसादी चट्टानों में कोयला पाया जाता है । आगरा का किला तथा दिल्ली का लाल किला बलुआ पत्थर से बना हुआ है । जो अवसादी चट्टान से तैयार होता है ।
कायांतरित चट्टान से क्या समझते है।
वैसा चट्टान जो ताप , दाब तथा रासायनिक कारण से आग्नेय चट्टान एवं अवसादी चट्टान कायांतरित चट्टान का निर्माण करता है । यह चट्टान की संख्या भी बहुत ही ज्यादा है ।
कायांतरित चट्टान से क्या समझते है ?
वैसा चट्टान जो ताप , दाब तथा रासायनिक कारण से आग्नेय चट्टान एवं अवसादी चट्टान कायांतरित चट्टान निर्माण करता है यह चट्टान की संख्या भी बहुत ही ज्यादा है ।
ज्वालामुखी से क्या समझते है ?
भू – पटल का वैसा छिद्र या दरार , जिससे पिघला पदार्थ लावा , राख , भाप तथा अन्य गैसे बाहर निकलती है । और इसके साथ – साथ दरार या छिद्र के द्वारा निकला हुआ तरल पदार्थ हवा में उड़कर कुछ समय बाद ठण्ढा होकर ठोस में परिवर्तित हो जाता है । इस प्रकार के ठोस टुकड़े को सिंडर कह सकते है । इस प्रकार से निकलने वाली ठोस गैस में अधिक वाष्प का प्रतिशत होता है । यह एक प्राकृति घटना चक्र है ।
उदगार अवधि अनुसार ज्वालामुखी का प्रकार :-
उदगार अवधि अनुसार ज्वालामुखी तीन प्रकार के होते है ,
(i ) सक्रिय ज्वालामुखी
(ii ) प्रसुप्त ज्वालामुखी
(iii ) मृत या शांत ज्वालामुखी
(i ) सक्रिय ज्वालामुखी : इस ज्वालामुखी में ज्यादातर उद्गार उत्पन्न होता है । अभी के समय में विश्व में सक्रिय ज्वालामुखी संख्या 500 से अधिक है । जिसमे से इटली एटना एवं स्ट्राम्बोली , मैक्सिको का कालिमा जवालामुखी मुख्य जवालामुखी है । जिसमे 40 से भी अधिक बार उदगार हो चूका है
(ii ) प्रसुप्त ज्वालामुखी : इस प्रकार के ज्वालामुखी में वर्तमान समय में उदगार नहीं हुआ है । परन्तु आने वाले समय में कभी भी उदगार हो सकता है । इसका कुछ उदाहरण विसिवियस जो भूमध्य सागर में है । क्राकाटोवा जो सुंडा जलडमरूमध्य एवं फ्यूजियामा जो जापान में है ।
(iii ) शांत ज्वालामुखी :- इस प्रकार के ज्वालामुखी में , जब से इतिहास का निर्माण हुआ । है तब से एक बार भी उदगार नहीं उत्पन्न हुआ है और इसमें न ही उदगार होने की सम्भावना है । इसका कुछ उदाहरण है कोह सुल्तान एवं दंवन्द जो ईरान में है । पोपा जो म्यांमार में है । कुल सक्रीय ज्वालामुखी का अधिकांश प्रशांत महासागर के तटीय वाला भाग में पाया जाता है । और आस्ट्रेलिया महाद्वीप में एक भी ज्वालामुखी नहीं पाया जाता है ।
निष्कर्ष: दोस्तों इस ब्लॉग पोस्ट में हमनें sthalmandal ,sthal mandal kya hai, sthal mandal in hindi , पृथ्वी पर जल का सम्राज्य इत्यादि के बारे में बताने की कोशिस किये है । यदि इसे पढ़ने के बाद किसी भी प्रकार की प्रश्न बनती है । तो बेहिचक कमेंट के माध्यम से संपर्क करे । उसका रिप्लाई हम जल्द से जल्द देने की कोशिस करेंगे ।
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