uttak( उत्तक ) । उत्तक किसे कहते हैं(uttak kya hai) । उत्तक का प्रकार

उत्तक किसे कहते हैं(uttak kya hai): किसी जिव के शरीर की सभी कोशिका, जिसकी उत्पत्ति एक सामान हुई हो तथा जो विशेष काम करता है । इस प्रकार के समूह को उत्तक कहाँ जाता है । यदि उत्तक किसे कहते हैं,की साधारण परिभाषा की बात की जाये । तो इसकी साधारण परिभाषा निचे देने की प्रयास करता हूँ । 

संक्षेप में उत्तक किसे कहते है :

कोशिका के समूह को उत्तक कहाँ जाता है । ज्यादा से ज्यादा कोशिका की उत्पति तथा आकार एक सामान ही होता है 

परन्तु कुछ उत्तक की उत्पति तथा आकार एक सामान नहीं रहता है । परन्तु कार्य एक सामान ही करते है । उत्तको की आकृति में समानता हो या असमानता इससे कोई दिक्कत नहीं है । क्योंकि कार्य एक सामान ही करते है ।

वैसा जीव जो एक कोशिकीय होता है ।  उनके अंदर जीवन की सभी क्रियाएँ उत्पन्न होती है । परन्तु उत्तक का निर्माण नहीं होता है । इसी के स्थान पर बड़े जीव की बात की जाये जैसे की मनुष्य, बैल, हाथी तथा गाय इत्यादि बहु कोशिकीय होता है । इन प्रकार के सभी जीवो में  कोशिका गुणन करके कोशिकाएँ के समूह तथा बहुकोशिका का निर्माण कर लेता है । 

कोशिका की इन बहुकोशिकीय अवस्था में सभी कोशिका अलग- अलग कार्य करने के लिए अनुकूलित हो जाती है । इस प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बना उत्तक लगभग सामान प्रकार का कार्य करता है ।

उत्तक का प्रकार :

उत्तक निम्न प्रकार के होते है :-

(i) पादप उत्तक

(ii) जंतु उत्तक

(iii) पेशी उत्तक

(iv) संयोजी उत्तक

(v) जनन उत्तक

(vi) स्थाई उत्तक

(i) पादप उत्तक :-  वैसा उत्तक जो पादपों के अंदर पाया जाता है । इस प्रकार के उत्तक को पादप उत्तक कहा जाता है ।

(ii) जंतु उत्तक:-  जंतु की कोशिकाओं के समूह के द्वारा जिस उत्तक का निर्माण होता है । वह जंतु उत्तक कहाँ जाता है । 

  जंतु उत्तक कुल पांच प्रकार के होते है :-

(a)  पेशी ऊतक

(b) संयोजी ऊतक

(c) तंत्रिका ऊतक

(d) जनन ऊतक

(e) उपकला ऊतक इसका दूसरा नाम एपिथीलियमी ऊतक होता है ।

(iii)  पेशी ऊतक:-  वैसा उत्तक जिसकी कोशिका लम्बी होती है । इस प्रकार के उत्तक को पेशी उत्तक के अंतर्गत रखा जाता है । इस उत्तक की पेशिया संकुचित होने की शक्ति रखती है । इसकी सभी पेशियाँ लाल होती है ।

पेशी उत्तक का गुण:

इस उत्तक में संकुचन की क्षमता काफी मात्रा में होती है । यह उत्तक अपना कार्य संकुचित अवस्था में ही करता है । इसमें उद्दीपन तथा उत्तेजनशीलता में कार्य करने का गुण होता है । यह अन्य उत्तको के बारे में पस्थक करती है । इसका पेशीय संकुचित अवस्था में छोटी या मोटी हो जाती है ।

जब केंद्रीय तंत्रिका तंत्र आदेश देता है । उसके बाद पेशीय सक्रिय हो जाता है । सक्रिय होने के बाद यह अपना काम करना प्रारम्भ कर देती है । इस पेशीय का फैलाव एक निश्चित सिमा तक ही होता है । इसमें लोचकता का गुण पाया जाता है ।  पेशी में जिस कारण से प्रसार होना प्राम्भ होती है । यदि वह कारण बंद हो जाता है । तो यह पूर्व अवस्था में आ जाती है ।   

(iv) संयोजी उत्तक:-  कुछ ऊतक, जीव के शरीर में ऐसा भी पाया जाता है । जो अन्य उत्तको को जोड़ने का काम करता है । इसके साथ- साथ संचालित करने का भी काम करता है । ऐसे उत्तक को संयोजी उत्तक कहाँ जाता है ।   

(v) जनन उत्तक:-  जो उत्तक शरीर का ढांचा बनाने का काम करता है । इस प्रकार के उत्तक को जनन उत्तक के अंतर्गत रखा जाता है । इस उत्तक के अंतर्गत अस्थि तथा कार्टिलेज आते है । 

कार्टिलेज तीन प्रकार के होते है, जिनका नाम निम्न है :- 

(a) हाईलाइन

(b) फाइब्रो

(c) इलैस्टिक फाइब्रो

(vi) स्थाई उत्तक:-  यह उत्तक दो प्रकार के होते है :-

(a) सरल उत्तक

यह उत्तक तीन प्रकार के होते है :-

 ( क) म्रदोत्क ऊतक  

( ख) दरनोत्क ऊतक

(ग) दरनोत्क ऊतक

(b) जटिल उत्तक 

यह उत्तक भी दो प्रकार के होते है :-

(i) जाइलम

जाइलम के घटक:

जाइलम के चार घटक होते है :-

(a)  जाइलम ट्रैकिड्स

(b) पैरेनकाइमा

(c) वाहिका

(d) फाइबर

(ii) फ्लोएम

यह भी चार भागों में बाटा गया है, जिसका नाम निम्न है :-

(i) पैरेन्काइमा

(ii) रेशे

(iii) चालनी नलिका

(iv) साथी कोशिकाएँ

तंत्रिका उत्तक की जानकारी :

यह उत्तक तंत्रिका कोशिकाएँ द्वारा बना होता है । यह उत्तक केंद्रीय तथा परिधीन तंत्रिका तंत्र का एक अहम् भाग होता है । यह उत्तक काफी घनिष्ट उत्तक होता है । तथा यह कोशिकाकाय तथा एक्सोन में बटी होती है । इसके साथ- साथ उत्तेजना का संप्रेषण तंत्रिका उत्तक ही करता है । 

सरल उत्तक के प्रकार :

सरल उत्तक तीन प्रकार के होते है :-

(i) पैरेकाइमा

(ii) कलेन्काइमा 

(iii) स्केरेन्काइमा

(i) पैरेकाइमा :- इस  प्रकार की कोशिकाएँ हमेशा जीवित होती है । क्योंकि यह जीवित कोशिका की बनी होती है । इसमें कोशिका भीति को बनने की बात किया जाये तो कोशिका भित्ति पेक्टिन तथा सेल्यूलोज की बनी होती है । इसकी कोशिका गोल बारीक़ कोशिका भित्ति द्वारा बनी होती है ।

(ii) कालेंकाइमा:- इसकी  भी कोशिका भित्ति पेक्टिन और  सेल्यूलोज की बनी होती है । यह ऊतक भी जीवित कोशिकाओं से बना होता है । इस प्रकार की कोशिका बहुभुजी कोशिकाओं के द्वारा बना होता है ।

(iii) स्केरेन्काइमा:-  यह मोटी भित्ति कोशिका के द्वारा बना होता है । यह निर्जीव कोशिका से बना होता है । इसका कोशिका भीति लिग्निन द्वारा बना होता है ।

फ्लोएम : 

यह एक प्रकार का जटिल स्थाई उत्तक होता है । यह उत्तक संवहन वंडल के अंदर पाया जाता है । इस उत्तक का निर्माण चार प्रकार की कोशिकाओं द्वारा होता है :-

(i) चालनी नलिकाएँ कोशिका

(ii) सह कोशिकाएँ

(iii) फ्लोएम मिरदूतक कोशिका

(iv) फ्लोएम तंतु कोशिकाएँ

निष्कर्ष :  दोस्तों इस पोस्ट में जिव विज्ञान संबंधित जैसे की उत्तक , उत्तक किसे कहते हैं, उत्तक का कार्य, उत्तक के प्रकार तथा उत्तक से संबंधित अन्य प्रकार की भी जानकारी देने की प्रयास किये है । यदि इस प्रकार की जानकारी को पढ़ने के बाद किसी भी प्रकार की क्वेश्चन बनती है । तो अर्जेन्ट हमसे कमेंट के माध्यम से संपर्क करने की कोशिस करे ।

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