virus and bacteria के कारण होने वाली बीमारी

virus and bacteria: यह एक सूक्षम जिव होता है । जो प्रायः एक कोशिकीय होता है । यह सभी स्थानों पर पाया जाता है । इसका आकार बहुत ही कम होता है । अर्थात इसका आकार मिलीमीटर में होता है ।  इसकी आकृति गोल या छड़ आकार की होती है । इसको  रहने का स्थान काफी जगहों पर है । जैसे की मिट्टी में, पानी में समुन्द्र में , एंव मनुष्य के आँत में भी पाया जाता है । इसके साथ- साथ कई ऐसे स्थान है । जहाँ पर बैक्ट्रिया पाया जाता है । इसके द्वारा हमारे शरीर में तरह- तरह की बीमारी उत्पन्न  होती है ।  

bacteriaशब्द की उत्पत्ति : 

सर्वप्रथम सन 1838 ईसवी में bacteria शब्द ग्रीक शब्द से निकला । जिसका अर्थ लिटिक स्टिक होता है । इसका कारण यह है । पहली बार खोजा गया बैक्ट्रिया रॉड के आकार का था ।

bacteria की खोज सबसे पहले 17 वी शताब्दी में एक डच वैज्ञानिक वान लीवेहोइक  के द्वारा किया गया था । उन्होंने इसके साथ- साथ प्रोटोजोवा की भी खोज की । जब प्रोटोजोआ का खोज हो गया । खोज हो जाने के बाद उसका नाम  अनिमलक्यूल्स रखा । इनके साथ माइक्रोस्कोप में भी सुधार किया । और इसी के साथ सूक्षम जिव विज्ञान की नीव पड़ी ।

bacteria का लिमिटेशन :

 जीवाणु, एक ग्राम मिट्टी  में 40 मिलियन जीवाणु कोशिकाएँ पायी जाती है। ताजे पानी में यदि आमतौर पर कहाँ जाये । तो लगभग 10 लाख जीवाणु कोशिकाएँ पायी जाती है । पृथ्वी का अधिकांश बायोमास bacteria का बना होता है । जीवाणु पृथ्वी पर सर्वव्यापी होता है । जिस तरह मिट्टी, पानी एंव हवा  इत्यादि सभी जगह पाया जाता है । उसी प्रकार जीवाणु भी सभी जगहों पर पाया जाता है ।

यदि मानव के शरीर की बात की जाये तो मानव के शरीर में प्रतिदिन लगभग करोड़ो बैक्ट्रिया उत्पन्न होते है । ज्यादा से ज्यादा bacteria इसलिए उत्पन्न होते है । क्योंकि  बैक्ट्रिया हवा के कण के साथ घुली मिली रहती है । इसलिए जहाँ- जहाँ हवा पहुँचती है । वहाँ- वहाँ bacteria भी पहुँच जाती है । bacteria से कोई भी चीज अछूता नहीं है । 

bacteria का उपयोग या अनुपयोग :

जीवाणु बहुत ही हानिकारक होता है । क्योंकि जीवाणु ही किसी जिव पर इफ़ेक्ट करता है । तो इसी से तरह- तरह की बीमारी होती है । इसके साथ- साथ कुछ जीवाणु ऐसे भी होते है । जिसका उपयोग जिव- जन्तुओ के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है । क्योंकि दूध से दही जीवाणु के द्वारा ही बनता है ।

आकार के अनुसार bacteria के प्रकार : 

आकार के अनुसार bacteria कई प्रकार के होते है :-

(i) गोल आकर के bacteria होता है । जिसका एक उदाहरण कोकस भी होता है ।

(ii) रॉड आकार की bacteria । जिसका उदाहरण बेसिलस है ।

(iii) कोमा के  आकार वाला bacteria । जिसका उदाहरण विब्रियो

(iv) सर्पिल के आकार की bacteria । इस तरह की bacteria का उदाहरण स्प्रीला या स्पिरोटेच

virus and bacteria: सेल  वाल के आधार पर  bacteria का प्रकार :   सेल के आधार पर bacteria दो प्रकार के होते है :-

(i) ग्राम पॉजिटिव :- पेप्टिडोग्लाइकॉन की परत , यह एक प्रकार का पॉलिमर है ।    

 (ii) ग्राम नेगेटिव :- पेप्टिडोग्लाइकॉन की पतली परत          

पौष्टिक तत्व लेने पैटर्न के आधार पर bacteria का प्रकार :

पौष्टिक तत्व लेने के पैटर्न के आधार पर bacteria कई प्रकार के होते है :-

(i) ऑटोट्रोफिक:- यह दो प्रकार के होते है । पहला, प्रकाश संस्लेषक, जो कार्बनिक पदार्थ, प्रकाश ऊर्जा और कार्बन डाइऑक्सइड अपने से भोजन से संश्लेषित  करते है ।

(ii) हेट्रोट्रोफिक :- ये अपने- अपने भोजन को अन्य जीवित जीवों से प्राप्त करते है । क्योंकि यह स्वंग से भोजन को संश्लेषित नहीं कर सकते है । 

(iii)  सिम्बायोटिक bacteria :- ये जिव भोजन के बदले में कुछ मेजवान जिव को देकर  पोषण प्राप्त करते है ।

(iv)  रोग जनक bacteria :-  यह बैक्ट्रिया मेजवान से तो भोजन प्राप्त करते है । परन्तु बदले में मेजवान के लिए हानिकारक होते है । क्योंकि इनसे बीमारी उत्पन्न होती है ।

(v) साईप्रोफैटिक bacteria :- यह मृत एंव क्षय पदार्थ से भोजन प्राप्त करते है । परन्तु यह पर्यावरण के लिए बहुत ही उपयोगी होता है ।

bacteria से होने वाला रोग :

bacteria से होने वाला कुछ रोग निम्न है :-

जब यह शरीर में प्रवेश करता है । तो इससे  टाइफाइड , तपेदिक,  हैजा, डिप्थिरया , टिटेनस एंव गोनोरिया एंव तरह- तरह की  बीमारी उत्पन्न होती है ।

20 वी शताब्दी में एक प्रकार की बीमारी जिसका नाम निमोनिया है । यह बहुत ह घातक था । इस बीमारी के कारण से काफी लोगों की मृत्यु हुई थी । यह  बीमारी भी बैक्ट्रिया के कारण ही होती है ।

virus and bacteria: virus

यह एक अत्यंत सूक्षम जिव होता है । जिसे हम अपनी नग्न आँखो से नहीं देख सकते है । यह बहुत ही खतरनाक जिव होता है । यह जिव नाभिकीय अम्ल एंव प्रोट्रीन से मिलकर बनता है । इससे भी कई तरह की बीमारी होती है । जिसकी जानकारी हम निचे बताने की कोशिस करेंगे ।

virus की उत्पत्ति : 

इस सम्बन्ध में कहाँ जाये तो, वाइरस की उत्पत्ति 1716 ईस्वी में डॉक्टर एडवर्ड ने पता लगाया की चेचक नामक बीमारी virus के कारण होती है । इसका टिका भी यही डॉक्टर ने बनाया था । virus का अंग्रेजी शब्द वाइरस होता है , जिसका शाब्दिक अर्थ विष होता है । virus भी लाभदायक एंव हानिकारक दोनों होता है ।

virus द्वारा उत्पन्न होने वाला रोग :

virus द्वारा निम्न  प्रकार के रोग होते  है । जैसे की सर्दी जुकाम, पोलिया, हैजा, पेचिस टाइफाइड इत्यादि रोग virus द्वारा ही होता है । इसके साथ- साथ अन्य जटिल बीमारी भी विषाणु के कारण होती है । 

निष्कर्ष : दोस्तों इस पोस्ट में हमने virus and bacteria ,जीवाणु, बैक्टीरिया और वायरस,जीवाणु की उत्पत्ति, यह कहाँ पर कितना पाया जाता है, जीवाणु का प्रयोग, विषाणु , विषाणु की उत्पत्ति इत्यादि के बारे में बताने की कोशिस किये है । यदि इस ब्लॉग को पढ़ने के बाद किसी भी प्रकार की क्वेश्चन बनती है । तो बेहिचक हमसे संपर्क करे । उसका रिप्लाई जल्द से जल्द देने की कोशिस करेंगे ।

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