UNIVERS IN HINDI :सभी आदमी को ब्रह्मण्ड के बारे में जानने के लिए जिज्ञासा रहती है , क्योकि ब्रह्मण्ड का बहुत सा ऐसा पिंड है , जिसे हम अपने खुली आँखों से देख नहीं सकते है । इसलिए सभी के मन में काफी Question of univers बनते रहता है , तो चलिए मैं आज इसके बारे में बताने के कोशिश कर रहा हूँ
what is univers in hindi , जिस स्पेस में छोटे तारो से लेकर बड़े तारो तक ग्रह , उपग्रह एवं सभी प्रकार के आकाशीय पिण्ड मौजूद है उस स्पेस को universe तथा अस्तित्वमान द्रव एवं ऊर्जा के सम्मिलित रूप को ब्रह्माण्ड एवं दूसरे प्रकार से सूक्ष्मतम अणुओ से लेकर महाकाय आकाशगंगाओ तक की सम्पूर्ण स्वरूप को ब्रह्मण्ड कह सकते है ।
history of univers in hindi से क्या समझते है ?
पृथ्वी पर का आदमी history of universe in hindi के बारे में जानने के लिए बहुत ही उत्सुक्त रहती है । इसलिए मैं इसके बारे में बताने की कोशिश कर रहा हूँ । ब्रह्माण्ड की उत्पति की विषय में अनेक प्रकार का सिद्धांत दिया गया है । जिनमे से कुछ सिद्धांतो के बारे में निचे जानकारी दिये है –
(1.) महाविस्फोट सिद्धांत – इस प्रकार की सिद्धांत बेल्जियम के खगोलज्ञ ने दिया था । यह सिद्धांत काफी मान्य है । इस प्रकार के सिद्धांत को देने वाले व्यक्ति अर्थात खगोलज्ञ का नाम एब जार्ज लैमेन्तेयर था । और बाद में राबर्ट बेगोनेर ने इस प्रकार की सिद्धांत को व्याख्या किया ।
univers in hindi: इस प्रकार के सिद्धांत के अनुसार निम्न बाते है –
(i) शुरूआती समय में वह सभी पदार्थ जिनसे ब्रह्माण्ड का निर्माण हुआ है , बहुत ही छोटे गोलक के रूप में एक ही स्थान पर स्थित था । जिसका आयतन काफी सूक्ष्म एवं तापमान तथा घनत्व अनंत था । जिसके कारण अचानक महाविस्फोट हुआ था । और इसी के कारण ब्रह्माण्ड का निर्माण हुआ है ।
(ii) दूसरी बात यह है , की अत्यधिक संकेन्द्रण के कारण छोटे गोला अर्थात बिंदु का आकार विस्फोट हुआ होगा । जिसे ब्रह्माण्ड महाविस्फोट कहते है ।
इस प्रकार के ब्रह्माण्ड विस्फोट से क्या प्रभाव पड़ा होगा ?
(i) इस प्रकार के अचानक विस्फोट से पदार्थो का विखराव हुआ था ।
(ii) जब विस्फोट से पदार्थो का विखराव हुआ तो उसके बाद सामान्य पदार्थो का निर्माण हुआ और इसके अलगाव के कारण काले पदार्थ का निर्माण हुआ और इन्ही के संयोजन से अनेक ब्रह्मांडीय पिंडो का सृजन हुआ ।
(2) महाविस्फोट की घटना वैज्ञानिक के अनुसार आज से 13.7 अरब वर्ष पहले हुई थी । और सौरमंडल का विकास महाविस्फोट के बाद ही हुई थी । आज से सौरमंडल का विकास 4.5 अरब वर्ष पूर्व हुआ था । जिसमे ग्रहो एवं उपग्रहों का निर्माण हुआ इस प्रकार बिग बैग परिघटना से ब्रह्माण्ड का निर्माण हुआ तभी से उसमे निरंतर विस्तार होते जा रहा है । इसकी प्रमाण के लिए , आकाशगंगाओ के बीच दूरी बढ़ती जा रही है । इसको इन बातो की व्याख्या NASA ने 2001 ई० में microwave anisotrophy probe नामक अनुसंधान में की थी । इसमें जो भी बात पर जिक्र किया गया है वह big bag theory पर ही आधारित है । ब्रह्माण्ड के रहस्यों को जानने के लिए 30 मार्च 2010 को यूरोपियन सेंटर फॉर न्यूक्लियर रिसर्च ने जेनेवा में धरातल से ५० से 175 मीटर निचे 27.36 किमी लम्बे सुरंग का निर्माण किया और उसमे LHC नामक परिक्षण किया । जो पूर्ण रूप से सफल रहा । लहक का पूरा नाम लार्ज हेड्रन कोलाइजर होता है । और इससे पहले 2008 में यह महाप्रयोग असफल रहा था ।
इसका क्रियाकलाप –
प्रोटॉन बिमो को लगभग प्रकाश की गति से टकराया गया तथा हिग्स बोसॉन के निर्माण करने का प्रयास किया । यह अनुमान लगाया जाता है की गाड पार्टिकल के नाम से जाने वाला हिग्स बोसान में ही ब्रह्माण्ड का रहस्य छिपे है । इसलिए यह अनुमान लगाया जाता है । क्योकि वह सबसे बेसिक यूनिट माना जाता है ।
यूरोपियन सेंटर फॉर न्यूक्लियर रिसर्च ने 4 जुलाई 2012 को हिग्स बोसॉन से मिलता – जुलता सब एटोमिक पार्टिकल की खोज करने में सफलता हासिल की थी ।
मंदाकिनी से क्या समझते है ।
सभी आदमी का जिज्ञासा रहता है की madakini के बारे में जाने तो चलिए मैं इसके बारे में बताने की प्रयास करता हूँ । तारो का एक ऐसा समूह जो धुंधला जैसा दिखाई देता है तथा वह तारा निमार्ण प्रक्रिया की शुरूआती वाली गैस पुंज है । उसे मंदाकिनी कहते है
पृथ्वी का एक मात्र मंदाकिनी है जिसका नाम दुग्धमेखला या आकाशगंगा है । अभी तक ज्ञात के आधार पर मंदाकिनी का 80 % भाग सर्पीला जिसे सबसे पहले गैलीविनो ने देखा था ।
univers in hindi: saurmandal की जानकारी :
सौरमंडल किसे कहते हैं, विभिन्न प्रकार की ग्रह क्षुद्रग्रह धूमकेतुओ उल्काओ तथा अन्य आकाशीय पिंडो जो सूर्य के चारो ओर चक्कर लगाती है , जिसमे ग्रह, क्षुद्रग्रह, धूमकेतुओ, उल्काओ तथा अन्य आकाशीय पिण्ड के समूह को सौरमंडल कहते है । सौरमंडल में प्रभुत्व की बात आती है तो सौरमंडल में सूर्य का प्रभुत्व है। सूर्य का प्रभुत्व इसलिए है, क्योकि सौरमंडल निकाय के द्रव्य का लगभग 99.999 द्रव्य सूर्य में निहित है ।
सौरमंडल के कुल ऊर्जा का स्रोत सूर्य ही है । सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह कौन सा है बृहस्पति ग्रह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है । तथा सबसे छोटा ग्रह बुध है । ये सभी प्रकार का ग्रह सूर्य की परिकर्मा करता है । जिसे सौरमंडल का चित्र में भी दिखाया गया है । जिसमे सूर्य के पाँचवे संख्या पर जो ग्रह परिकर्मा करती है वह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है ।
सूर्य से क्या समझते है ? यह हमारे जीवन में क्यों उपयोगी है ?
सूर्य , सौरमंडल का प्रधान है यह दुग्धमेखला के केन्द्र से 30 , 000 प्रकाश वर्ष की दुरी पर एक कोने में स्थित है । सूर्य दुग्धमेखला के चारो ओर 250 KM /S की गति से परिक्रमा कर रहा है । इनकी परिक्रमण अवधि 25 करोड़ वर्ष है । और इस समय को ब्रह्माण्ड वर्ष भी कहते है । यह अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है । इसकी मध्य वाला भाग 25 दिनों में और ध्रुवीय भाग 35 दिनों में एक चक्कर पूरा करता है ।
सूर्य एक गैस का गोला है , जिसमे हाइड्रोजन 71 % हीलियम 26 .5 % एवं अन्य तत्व 2 . 5 % मौजूद है । इसका केंद्रीय भाग क्रोड होता है । जिसका तापमान 1 . 5 x 10 पावर 7 डग्री c होता है , तथा सूर्य के बाहरी सतह का तापमान 6000 ० C रहता है ।
हैंस बेथ के अनुसार 10 पावर ० C ताप पर सूर्य के केंद्र पर चार हाइड्रोजन नाभिक जब मिल जाता है तो एक हीलियम नाभिक का निर्माण होता है । अर्थात सूर्य पर नाभिकीय संलयन अभिक्रिया होती है । जिसके कारण सूर्य एक ऊर्जा का स्रोत है ।
सूर्य का प्रकाश मंडल से क्या समझते है ?
सूर्य वैसा सतह जो दीप्तिमान होता है । वह प्रकाशमंडल कहलाता है । प्रकाशमान प्रकाशमंडल के किनारे नहीं होता है । ऐसा इसलिए होता है , क्योकि सूर्य का वायुमंडल प्रकाश का अवशोषण कर लेता है । जिसे वर्ण मंडल कहते है । इसका रंग लाल होता है । और जब कभी सूर्य ग्रहण लगता है । उस समय सूर्य के दिखाई देने वाली भाग को सूर्य – किरीट कहते है । सूर्य किरीट हमेशा X – RAY उत्सर्जित करता है । और जिसे हम सूर्य का मुकुट कहा जाता । जब पूर्ण रूप से सूर्यग्रहण लग जाता है तो उस समय सूर्य किरीट से प्रकाश की प्राप्ति होती है ।
सूर्यमण्डल का पिंड से क्या समझते है ?
सौरमंडल में उपस्थित ग्रह उपग्रह एवं अन्य आकाशीय पिंड को सौरमंडल का पिंड कहते है ।
2006 का सम्मेलन जिसका नाम अंतराष्ट्रीय खगोलशास्त्रीय संघ (International Astronomical union ) था । उस प्राग सम्मेलन में सौरमंडल में मौजूद पिंडो को तीन श्रेणियों में बाटा गया है :-
(i ) परम्परागत ग्रह – इसके अंतरगत जो ग्रह आता है उसका नाम निचे दिये है ।
बुद्ध , शुक्र , पृथ्वी , मंगल , बृहस्पति , शनि , अरुण एवं वरुण ।
(ii ) बौने ग्रह – प्लूटो , चैरान , सेरस , 2003 यूबी 313 इत्यादि बौने ग्रह के अंतरगत आता है ।
(iii ) लघु सौरमंडलीय पिंड – इसके अंतगत धूमकेतु , उपग्रह एवं अन्य छोटे खगोलीय पिंड इत्यादि ।
निष्कर्ष : दोस्तों इस पोस्ट में हमनें univers in hindi , Question of univers, history of universe in hindi , महाविस्फोट सिद्धांत , मंदाकिनी से क्या समझते है ,सूर्य से क्या समझते है, यह हमारे जीवन में क्यों उपयोगी है। सूर्य का प्रकाश मंडल से क्या समझते है। इत्यादि के बारे में जानकारी देने की कोशिस किये है। यदि इसे पढ़ने के बाद किसी भी प्रकार की प्रश्न आपके मन में आती है तो निसंकोच हमसे कमेंट के माध्यम पूछे उसका रिप्लाई हम जल्द से जल्द देने की कोशिस करेंगे।
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